कॉर्न

मक्के में अल्फा टोकोफेरोल और गामा टोकोफेरोल होता है। ये दोनों तत्व प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में मिसकैरेज का खतरा कम होता है। कॉर्न में मौजूद विटामिन ई प्रेग्नेंसी से संबंधित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से संबंधित जटिलताएं होने का खतरा कम होता है। 100 ग्राम मक्के में 1.98 मिलीग्राम विटामिन ई होता है।
फोटो साभार : TOI
पिस्ता

पिस्ता में विटामिन ई का गामा-टोकोफेरोल होता है। इसमें पोटैशियम, फाइटोस्टेरोल और कैरोटीनॉइड होते हैं। यह बीपी और ग्लूकोज को कम करने में मदद करता है। 100 ग्राम पिस्ता में 2.86 मिलीग्राम विटामिन ई होता है।
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सूरजमुखी का तेल

सूरजमुखी के बीजों में भी भरपूर मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है। यह विटामिन मोटोप, जेस्टेशनल डायबिटीज और हाई बीपी के खतरे को कम करता है। सूरजमुखी के तेल में मौजूद फेनोलिक तत्व प्रेग्नेंसी में होने वाली जटिलताओं से बचाता है। 100 ग्राम सूरजमुखी के बीजों में 26.1 मिग्रा और 100 ग्राम सूरजमुखी के तेल में 41.08 विटामिन ई होता है।
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अखरोट

अखरोट में पांच तरह के विटामिन ई पाए जाते हैं जैसे कि अल्फा टोकोफेरोल, बीटा-टोकोफेरोल, गामा-टोकोफेरोल, डेल्टा-टोकोफेरोल और गामा-टोकोट्राइनोल। प्रेग्नेंसी में अखरोट खाना बहुत फायदेमंद रहता है क्योंकि यह भ्रूण की याद्दाश्त और सीखने की क्षमता को बढ़ावा देता है। 100 ग्राम अखरोट में 21 मिग्रा विटामिन ई होता है।
आप ऊपर बताए गए आसानी से मिलने वाले फूड्स की मदद से बॉडी की विटामिन ई की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं। आप इन सभी को या इनमें से कुछ फूड्स को भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं।
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