जानिए कितनी आई सूचकांकों में गिरावट
बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 23 फरवरी को 57,232 के स्तर पर था, जो 7.67 फीसद की गिरावट के साथ सात मार्च को 52,843 अंक पर आ गया। बीएसई मिडकैप (BSE Midcap) 23 फरवरी को 23,558 के स्तर पर था, जो 6.15 फीसद की गिरावट के साथ 7 मार्च को 22,109 अंक पर आ गया। इसके साथ ही बीएसई स्मॉलकैप (BSE Smallcap) 23 फरवरी को 26,946 के स्तर पर था, जो 4.69 फीसद की गिरावट के साथ सात मार्च को 25,682 के स्तर पर आ गया।
विदेशी निवेशकों ने की भारी निकासी
विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Central Bank Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों (Interest Rstes) में वृद्धि के संकेतों और बांड पर रिटर्न (Return on Bond) बढ़ने के साथ ही भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली शुरू हो गई थी। रूस-यूक्रेन वॉर ने जैसे इस आग में घी डालने का काम किया। 24 फरवरी से 10 मार्च तक विदेशी निवेशकों (FPI) ने 55,127 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे। वहीं, एक जनवरी से अब तक विदेशी निवेशक 1,10,063 करोड़ रुपये की अपनी होल्डिंग्स बेच चुके हैं।
फिर आई रिकवरी
सूचकांकों में रिकवरी ( Recovery) की रफ्तार काफी तेज रही। बीएसई सेंसेक्स सात मार्च को 52,843 के स्तर पर था। यह 5.12 फीसद की उछाल के साथ 11 मार्च को 55,550 पर आ गया। बीएसई मिडकैप साच मार्च को 22,109 के स्तर पर था, जो 5.43 फीसद की उछाल के साथ 11 मार्च को 23,309 अंक पर आ गया। इसके अलावा बीएसई स्मॉलकैप सात मार्च को 25,682 के स्तर पर था, जो 5.68 फीसद के उछाल के साथ 11 मार्च को 27,141 अंक पर आ गया। विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) के लिए आए अच्छे नतीजों से भी बाजार ने राहत की सांस ली है। इन नतीजों ने 2024 में बीजेपी की मजबूत स्थिति का संकेत दिया है। बाजार को लगता है कि दीर्घकालिक राजनीतिक स्थिरता की संभावना केंद्र को कड़े फैसले लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जिससे लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है।
क्रूड ऑयल में भी अच्छी रिकवरी
इक्विटी बाजारों के साथ ही क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतों में भी अच्छी रिकवरी आई है। आठ मार्च को ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) 132 डॉलर प्रति बैरल से अधिक के स्तर पर था। अब क्रूड ऑयल का भाव 110 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया है। क्रूड ऑयल की कीमतों में इस गिरावट से वैश्विक बाजारों को काफी राहत मिली है।
यह बनाएं रणनीति
युद्ध के कारण तेल आयात बिल (Oil Import Bill) तो बढ़ेगा ही, साथ में महंगाई (Inflation) भी बढ़ेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को पिछले कुछ सत्रों में आई रिकवरी से बहुत उत्साहित हुए बिना विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करना चाहिए। यदि युद्ध जारी रहता है, तो बाजार दबाव में रहेगा और मौजूदा स्तरों से गिर सकता है। अस्थिरता के समय में निवेशकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसे समय में निवेशकों को स्मॉल और मिड कैप कंपनियों से दूरी बनानी चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक युद्ध चलने की स्थिति में बढ़ती लागत और कमजोर मांग के परिदृश्य में ये अधिक असुरक्षित हो सकती हैं।
ऐसे समय में निवेशकों को छोटी अवधि के निवेश से बचाना चाहिए। उन्हें कम से कम एक-ढेड साल की अवधि को देखते हुए निवेश करना चाहिए। साथ ही निवेशकों को अत्यधिक जोखिम से बचने के लिए एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश करना चाहिए। जब युद्ध हो रहा हो तो कोई नहीं बता सकता कि बाजार का बॉटम क्या होगा। नए निवशकों को ऐसे में एसआईपी का सहारा लेना चाहिए।
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