सुनवाई के दौरान, आप नेता की ओर से एडवोकेट एन. हरिहरन ने दलील दी कि वह जांच में लगातार सहयोग कर रहे हैं। उनके भागने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है। ईडी को जो दस्तावेज चाहिए, वो जब्त किए जा चुके हैं। ऐसे में उनमें किसी तरह की छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। उन्हें स्लीप एपनिया (सोते समय सांस लेने में दिक्कत होना) भी है, जो गंभीर है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज की अचानक मौत तक हो सकती है। इस पर 24 घंटे नजर बनाकर रखे जाने की जरूरत होती है।
ईडी की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने अर्जी का विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि मामला नकदी को वैध बनाने और फिर उसके इस्तेमाल से जुड़ा है। इसकी जांच के दौरान ‘लाला शेर सिंह ट्रस्ट’ के संबंध में इसी तरह के लेन-देन का पता चला। जब हमने जैन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस ट्रस्ट के नाम से भी पूरी तरह अनजान बनने की कोशिश की। इसके बाद 10 जून को एक दस्तावेज सामने आया, जिससे यह साफ हुआ कि वह ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि किसी भी सवाल पर मंत्री का जवाब यह होता था कि कोरोना होने के बाद से उनकी याददाश्त काफी कमजोर हो गई है। जमानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है।