पुलिस टीमों ने आसपास के एरिया के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। पता चला की पांच बदमाश हैं, जो गाजियाबाद से 2 जून को लूटी कार का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये पहचान छिपाने के लिए चेहरों पर मास्क और सिर पर टोपी लगाकर निकलते हैं। तफ्तीश में खुलासा हुआ कि गैंग ने दिल्ली-एनसीआर में लूट और कार जैकिंग की 9 वारदात को अंजाम दिया है। राजेंद्र नगर से पहले उसी दिन सुबह हरी नगर में एक गोल्ड चेन इसी कार में सवार होकर लूटी गई थी। यह गैंग वेस्ट, सेंट्रल, नॉर्थ और एनसीआर में सक्रिय था। लिहाजा सेंट्रल जिला की टीम ने पांच दिन तक लगातार काम करते हुए राजेंद्र नगर में हुई डकैती वाली जगह से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर डाबड़ी तक के सीसीटीवी फुटेज खंगाले।
पुलिस आखिरकार वारदात में इस्तेमाल लूटी कार तक पहुंच गई, जो डाबड़ी के नाला रोड पर खड़ी थी। पुलिस ने कार की निगरानी की। दो युवक आए और कार चलाकर ले जाने लगे। पुलिस ने पीछाकर कार को अगली रेडलाइट पर रुकवा लिया। आरोपी के पिस्टल निकालते ही पुलिसवालों ने दोनों को काबू कर लिया। पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि वो सिर्फ गोल्ड जूलरी की लूटपाट करते थे। गैंग के फरार सुल्तान और सावेज समेत तीन मेंबर भी मुजफ्फरनगर से हैं। आरोपियों ने राजेंद्र नगर में ही 14 अप्रैल को भी लूट की थी। इनके अलावा हरी नगर में तीन, पश्चिम विहार ईस्ट में दो, जहांगीर पुरी में एक और गाजियाबाद में कार लूट की वारदात को अंजाम दिया था।
सद्दाम-सलमान गैंग से जुड़े थे तार
पुलिस अफसरों ने बताया कि गैंग का सरगना मोहम्मद मुस्तकीम कुख्यात गैंगस्टर सद्दाम गौरी-सलमान त्यागी गैंग का मेंबर रह चुका है। यह गैंग कुख्यात गैंगस्टर नीरज बवानिया सिंडिकेट का हिस्सा है। सद्दाम गौरी दिसंबर 2014 में बागपत से सुनील राठी गैंग के बदमाश अमित भूरा को उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी से भगा ले जाने वाली वारदात में भी शामिल था। इस गैंग का नाम हरी नगर के सुभाष नगर इलाके में 7 मई को कारोबारी अजय चौधरी और उनके भाई यशपाल उर्फ जस्सा की कार में अंधाधुंध फायरिंग करने में आया था।
दोनों जेल गए तो बनाया अपना गैंग
सद्दाम गौरी और सलमान त्यागी दोनों मकोका के तहत जेल चले गए तो मुस्तकीम ने अपना गिरोह बना लिया। मुजफ्फरनगर का मूल निवासी मुस्तकीम दिल्ली में किराए का कमरा लेकर वारदातों को अंजाम देता था, जो उत्तम नगर में रह रहा था। एक समय वो गलियों में साड़ी-सूट बेचा करता था। इसके खिलाफ उत्तम नगर में पहले एक लूटपाट का केस दर्ज है। मुजफ्फरनगर का रहने वाला मेंहदी हसन भी गलियों में साड़ी-सूट बेचने का काम करता था। वो मुस्तकीम और सुल्तान के करीब आकर लूट करने लगा।
देहरादून सेटल होने का बनाया था प्लान
पुलिस अफसरों ने बताया कि गिरोह के मेंबर अब लूट की कार का नंबर प्लेट बदलने वाले थे। यह कार गाजियाबाद के बापूधाम से दिल्ली के कारोबारी से लूटी गई थी। नए नंबर प्लेट के लिए एक पुरानी कार का जुगाड़ कर लिया था। पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि उन्होंने प्लानिंग बनाई थी कि दिल्ली-एनसीआर में वारदात करेंगे और छिपने के लिए देहरादून में चले जाया करेंगे। इससे पहले बदमाश इसमें सफल हो पाते पुलिस ने दबोच लिया। पुलिस इनसे पूछताछ कर इनके साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है।