सरकार के आदेश को HC ने किया खारिज

 बढी फीस नहीं लौटाएंगे - हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय के पिछले
साल 13 अप्रैल को जारी संबंधित आदेश निरस्त



नई दिल्ली : दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के नाम पर पैरंटस से पिछले साल जो फीस वसूली, वह अब उन्हें लौटानी नहीं होगी। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को शुक्रवार को निरस्त कर दिया, जिसमें स्कूलों को ऐसा करने का निर्देश और फीस बढ़ोतरी से रोका गया था।


हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय के पिछले साल 13 अप्रैल को जारी संबंधित आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके तहत शिक्षा निदेशालय ने प्राइवेट स्कूलों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए फीस बढ़ाने से रोक दिया था। साथ ही स्कूलों से कहा था कि वे बढ़ाकर ली गई फीस पैरंट्स को लौटा दें। 400 प्राइवेट स्कूलों के संगठन ने दिल्ली सरकार के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिस पर उन्हें कोर्ट से पिछले साल मई में अंतरिम राहत भी मिल गई थी। हाई कोर्ट ने सरकार को इस आदेश को लागू करने से रोक दिया था।


प्राइवेट स्कूल संगठन के वकील कमल गुप्ता ने बताया कि जस्टिस सी. हरिशंकर की बेंच ने शुक्रवार को प्राइवेट स्कूलों की अपील मंजूर कर ली और सरकार के पिछले साल 13 अप्रैल को जारी आदेश को निरस्त कर दिया। प्राइवेट स्कूलों के असोसिएशन ने सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि इससे सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में देरी होगी और उन स्कूलों से टीचरों के नौकरी छोड़ने को बढ़ावा मिलेगा, जिन्हें अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने से रोका गया है।


कोर्ट ने असोसिएशन की यह दलील भी मान ली थी कि शिक्षा निदेशालय द्वारा 17 अक्टूबर 2017 में गैर सहायता वाले मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। साथ ही उसी अवधि में विभाग ने तीन आदेशों में फीस बढ़ाने की मंजूरी दी थी। कोर्ट का कहना था कि शिक्षा निदेशालय के 13 अप्रैल, 2018 के आदेश से दिशानिर्देश पूर्वव्यापी प्रभाव से वापस ले लिए गए


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