ईंट भट्ठा उद्योग संकट में पर्यावरण विभाग के आदेश से 

बेरोजगारी फैलने की आशंका ईंट भट्ठा उद्योग बंद होने से 


भट्ठा मालिकों का आरोप कि अधिसूचना को जारी करने में सीमेंट उत्पादक कम्पनियों की लॉबी का भी केन्द्र सरकार पर दबाव



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मिट्टी से ईंटें बनाने पर रोक के आदेश से ईंट भट्ठा उद्योग संकट में पड़ गया है, इससे बेरोजगारी फैलने की आशंका हो गई है।


ईंट भट्ठा मालिकों के अनुसार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 25 फरवरी को एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें उन ईंट-भट्ठों को राख (फ्लाइएश) से ईंटें उत्पादित करने के लिए एक वर्ष में रूपांतरित कर लेने को कहा गया है।


जिनमें मिट्टी से लाल ईंटें बनाई जाती हैं। भट्ठा मालिकों ने कहा कि इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके सकारात्मक के बजाय नकारात्मक परिणाम ज्यादा होंगे। उनका कहना है कि मिट्टी से लाल ईंट बनाने वाले भट्ठों को फ्लाईएश में परिवर्तित ही नहीं किया जा सकता।


जाहिर है भट्ठे बंद करने होंगे और इसकी जगह फ्लाईएश से ईंट की जगह सीमेंट ब्लॉक बनाने के कारखाने लगाने पड़ेंगे। राख के साथ सीमेंट के मिश्रण से यह ब्लॉक बनते हैं। भट्ठा मालिकों का आरोप हैकि इस अधिसूचना को जारी करने में सीमेंट उत्पादक कम्पनियों की लॉबी का भी केन्द्र सरकार पर दबाव रहा है।


फ्लाईएश-सीमेंट के ब्लॉक की फैक्ट्रियां लग गई, तो भट्ठा मजदूर बेकार हो जाएंगे। जहां एक भट्ठे पर औसतन 200 मजदूर और उनका परिवार पल रहा है, वही फ्लाईएश ईंट फैक्टरी में दस कर्मचारियों से काम चल जाएगा। दूसरा इन फैक्ट्रियों में न तो कोयला जलेगा और न ही बायोवेस्ट। ठंडी विधि से ईंटे-ब्लॉक इन फैक्ट्रियों में बनेंगे।


परिणामतः किसानों को बायोवेस्ट खेतों में ही जलाना पड़ेगा। पहले से ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तथा पर्यावरण मंत्रालय खेतों में बायोवेस्ट जलाये जाने से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से चिन्तित है, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने ही यह विरोधाभासी अधिसूचना जारी कर दी।


तीसरा-लाल ईंट के मुकाबले फ्लाईएश की ईंट कहीं ज्यादा कमजोर हैं। उसकी मजबूती इतनी नहीं है कि जितनी मिट्टी से बनी ईंट की होती है।


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