*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 मई 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया रात्रि 02:50 मई 11 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 10:47 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग- अतिगंड दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - प्रातः 10:57 से दोपहर 12:36 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:01*
*⛅सूर्यास्त - 07:11*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:18 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 11 से रात्रि 12:57 मई 11 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अक्षय तृतीया, त्रेता युगादि तिथि, श्री परशुराम जयंती, श्री बसवेश्वर जयंती, रोहिणी व्रत, माँ मातंगी जयंती*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 अक्षय तृतीया - 10 मई 2024 🌹*
*( पूरा दिन शुभ मुहूर्त )*
*🔹 'अक्षय' शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो । इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं । भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है । इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है ।*
*🔹भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है ।*
*इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-*
*माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।*
*प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।*
*🔹सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।*
*🔹इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।*
*🔹इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।*
*🔹इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।*
*🌹पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि🌹*
*🔹अक्षय तृतीया के दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।*
*🔹विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।*
*🔹इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।*
*🌹अक्षय तृतीया ( 10 मई 2024 )का तात्त्विक संदेश :*
*'अक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो ।*