कैसे बचें पेट की गड़बड़ियों से

पेट में गड़बड़ी होने का इलाज

हमारे स्वास्थ्य का केंद्र हमारा पेट होता है, अच्छी सेहत के लिए अच्छे पाचन तंत्र का होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। जो भोजन हमारा शरीर पचा नहीं पाता वह शरीर के फायदा पहुंचाने के बजाए नुकसान पहुंचाता है। 

पेट की गड़बड़ियों का असर अन्यय तंत्रों पर ही नहीं अंगों पर भी पड़ता है इसमें हमारा हृदय, मस्तिष्क, इम्यून सिस्टम, त्वचा, भार, शरीर में हार्मोनों का स्तर आदि सम्मिलित हैं। पेट की गड़बड़ियों के कारण पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होने से लेकर कैंसर विकसित होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

पेट की प्रमुख बीमारियां -

 पेट में गड़बड़ी हो तो क्या करें -

जब पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता तो खाने को उस रूप में परिवर्तित नहीं कर पाता जिस रूप में शरीर उसे ग्रहण कर सके। कमजोर पाचन तंत्र से शरीर का इम्यून सिस्टम गडबडा जाता है और शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, इसलिए ऐसे लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं।

कब्ज-

कब्ज यानी बड़ी आंत से शरीर के बाहर मल निकालने में कठिनाई आना। यह समस्य गंभीर होकर बड़ी आंत को अवरूद्ध कर जीवन के लिए घातक हो सकती है। कब्जा एक लक्षण है जिसके कई कारण हो सकते हैं जैसे खानपान की गलत आदतें, हार्मोन संबंधी गड़बड़ियां, कुछ दवाईयों के साइड इफेक्ट आदि। 

इसलिए इसके प्रभावकारी उपचार के लिए जरूरी है कि सबसे पहले हम इसके कारणों का पता लगाएं। एक अनुमान के अनुसार महानगरों में आरामतलबी की जिंदगी बिताने के कारण करीब 30 प्रतिशत लोगों का पेट साफ नहीं रहता। अगर लगातार तीन महीने तक कब्ज की समस्या बनी रहे तो इसे इरीटेबल बॉडल सिंड्रोम (आईबीएस) कहते हैं।

गैस की समस्या-

भोजन का ठीक प्रकार से पाचन न होना गैस बनने का प्रमुख कारण है। कई लोगों के पाचन मार्ग में गैस जमा हो जाती है, कुछ लोगों को दिन में कई ऐसा बार होता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में एंजाइम का स्तर कम हो जाता है इस कारण गैस की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। लंबे समय तक रहने वाली गैस की समस्या अल्सर में बदल सकती है। जिनकी पाचन शक्ति अक्सर खराब रहती है और जो प्रायः कब्ज के शिकार रहते हैं, और गैस की समस्या के शिकार रहते हैं.

गैस्ट्रो इसोफैगल रिफ्लक्सक डिसीज में-

पेट की अंदरूनी पर्त भोजन को पचाने के लिए कई पाचक उत्पाद बनाती है, जिसमें से एक स्टमक एसिड है। कई लोगों में लोवर इसोफैगियल स्फिंक्टार (एलईएस) ठीक से बंद नहीं होता और अक्सर खुला रह जाता है। जिससे पेट का एसिड बहकर वापस इसोफैगस में चला जाता है। इससे छाती में दर्द और तेज जलन होती है। इसे ही जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स कहते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे एसिडिटी कहा जाता है। कई लोग पेट में सामान्य से अधिक मात्रा में एसिड स्त्रावित होने की समस्या से पीड़ित होते हैं जिसे जोलिंगर एलिसन सिंड्रोम कहते हैं।

गैस्ट्रोएंट्राइटिस-

गैस्ट्रोएंट्राइटिस या आंत्रशोध आमतौर पर बैक्टीरिया और वाइरस का संक्रमण है। इसके कारण पेट की अंदरूनी परत में जलन होती है और वो सूज जाती है। संक्रमित व्यक्ति को दस्त और उल्टी होने लगती है। यह संक्रमण ऐसे भोजन या पानी के सेवन से होता है जो ईकोलाई, सालमोनेला, एच पाइलोरी, नोरो वाइरस, रोटा वाइरस आदि से संक्रमित होता है। इसे स्टमक फ्लु भी कहा जाता है। सामान्य स्वस्थ्य व्यक्ति बिना किसी स्वास्थ्य जटिलता के कुछ ही दिनों में इससे ठीक हो जाता है। लेकिन बच्चे, बुजूर्ग और ऐसे व्यस्क जिनका इम्यून तंत्र कमजोर होता है गैसेट्रोएंट्राइटिस उनके लिए घातक हो सकता है।

पेट फूलना-

पेट गैस या बड़ी आंत के कैंसर या हार्निया के कारण भी फूल सकता है। ज्यादा वसायुक्त भोजन करने से पेट देर से खाली होता है इससे भी पेट फूल जाता है और बेचैनी होती है। किसी अंग का आकार बढ़ने से भी पेट फूल सकता है।

कोलाइटिस-

कोलाइटिस में बड़ी या छोटी आंत में छाले पड़ जाते हैं और कुछ भी खाने पर जलन होती है। इस जलन को शांत करने के लिए और खाना खाना या बार-बार ठंडा पानी पीना पड़ता है। कभी-कभी अल्सर के छाले फट जाते हैं, जिससे मल के साथ रक्त निकलता है। छाले फटने से कभी-कभी क्लॉट बन जाते हैं, इससे मल में बहुत तेज दुर्गध आती है। कोलाइटिस, के कारण बड़ी आंत में सूजन भी आ जाती है।

डायरिया-

डायरिया पाचन मार्ग के संक्रमण या आंतों की बीमारियों का एक लक्षण है। इसमें बड़ी आंत में मौजूद खाने से तरल पदार्थ अवशोषित नहीं हो पाते या अतिरिक्त तरल बड़ी आंत में पहुंच जाते हैं जिससे मल अत्यधिक पतला हो जाता है। इसमें एक दिन में तीन या अधिक बार पतले दस्त होते हैं। गंभीर डायरिया के कारण शरीर में फ्ल्युड की कमी हो जाती है और यह स्थिति जीवन के लिए घातक हो सकती है विशेषकर छोटे बच्चों और उन लोगों में जो कुपोषण के शिकार हैं या जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर है।

बातों का रखें ध्यान-

अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न करें। तनाव भी कब्ज- का एक प्रमुख कारण है इसलिए तनाव से दूर रहने की हर संभव कोशिश करें।

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। नियमित रूप से एक्सिरसाइज और योग करें। कब्ज पेट में गैस बनने का एक कारण है जितने लंबे समय तक भोजन बड़ी आंत में रहेगा उतनी मात्रा में गैस बनेगी। खाने को धीरे-धीरे और चबाकर खाएं। दिन में तीन बार मेगा मील खाने की बचाए कुछ-कुछ घंटों के अंतराल पर मिनी मील खाएं। 

खाने के तुरंत बाद न सोएं। थोड़ी देर टहलें। इससे पाचन भी ठीक होगा और पेट भी नहीं फूलेगा। अपनी बॉयोलाजिकल घड़ी को दुरस्ती रखने के लिए एक निश्चित समय पर खाना खाए। मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करें। चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल कम करें। जंक फूड और स्ट्रीट फूड न खाएं। संतुलित भोजन करें। धूम्रपान और शराब से दूर रहें। अपने भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार भोजन को शामिल करें। प्रतिदिन सुबह एक गिलास गुनगुने पानी का सेवन करें।


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