दुनिया की आधी आबादी ओवरवेट हो जाएगी 2050 तक

दुनिया की आधी आबादी ओवरवेट हो जाएगी 2050 तक
दुनिया की आधी आबादी ओवरवेट हो जाएगी 2050 तक

जर्मनी के पॉटरडैम इंस्टीटयूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च का अनुमान

बर्लिन, नवम्बर। 2050 तक दुनिया की आधी आबादी ओवरवेट हो जाएगी। इसकी वजह होगी। अनहेल्दी फूड यानी ऐसा खाना जिनसे पोषक तत्व नहीं मिलते और शरीर को नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं ऐसे खानपान के कारण दुनियाभर के 150 करोड़ लोग मोटापे से जूझ रहे होंगे। 30 साल बाद 50 करोड़ लोगों का वजन औसत से भी कम होगा। ये भूख और तंगहाली से लड़ रहे होंगे। 

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लोगों को खानपान की आदतों के आधार पर लगाया है। रिसर्च करने वाले पॉटरडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च कहना है, वर्तमान में लोगों का खानपान जैसा है अगर आगे भी ऐसा ही रहा तो अगले 30 सालों में इनमें पोषक तत्वों की भारी कमी होगी। 

कैसे शुरू हुआ अनहेल्दी फूड खाने का टेंड -

वैज्ञानिकों का कहना है कि 1965 से धीरे-धीरे दुनिया भर के खानपान में बदलाव होना शुरू हुआ। खाने में प्रोसेस्ड फूड, हाई प्रोटीन नॉनवेज, अधिक शक्कर वाले फूड और कार्बोहाइड्रेट शामिल हुए। समय के साथ खाने को लेकर कई तरह के एक्सपेरिमेंट हुए। 

खाने की नई चीजें उगाने की जगह इनकी मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस बढ़ता गया। धीरे-धीरे प्रोसेस्ड फूड तैयार करने की प्रक्रिया तेज होने के कारण ऐसा खाना सस्ती दरों पर मिलने लगा और मशीनरी प्रयोग बड़ने के कारण यह तेजी से लोगों तक पहुंचने लगा।

प्रोसेस्ड फूड यह होता है जो कई प्रक्रिया से गुजरते हुए लोगों तक पहुंचता है। इसलिए इसमें पोषक तत्व घटते जाते हैं। इसमें कई तरह रसायनों का प्रयोग होता है जो सिर्फ नुकसान ही पहुंचाते हैं। इन्हीं चीजों का नतीजा है कि 2010 तक दुनियाभर की 29 फीसदी आबादी ओवरवेट हो चुकी थी। 9 फीसदी लोग मोटापे से जूझ रहे थे। इनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक था। जो औसत से ज्यादा है। 

भारत, अमेरिका और ब्रिटेन की स्थिति को समझें - 

अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य एजेंसी सोडौसी का कहना है, 2009 और 2010 के बीच अमेरिका में 35.7 फीसदी लोग पहले हो मोटापे से परेशान थे। 2018 तक यह आंकड़ा बढ़कर 42.4 फीसदी हो गया। यहाँ, भारत में 13.5 करोड़ लोग मोटापे से परेशान हैं। भारतीय दूसरी बीमारियों से भी लड़ रहे हैं। 

देश में 7.2 करोड़ लोग मधुमेह और 8 करोड़ हाई ब्लड प्रेशर से परेशान है। जर्मन बैज्ञानिकों की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में मोटापा बढ़ने से हार्ट डिसीज और मधुमेह के मरीज भी बड़ेंगे। कोरोना जैसी महामारी इनके लिए का खतरा और बढ़ा देती है। 

अमीर देशों में मांसाहार की मांग दोगुनी होगी -

जर्मन वैज्ञानिकों के मुताबिक, अमीर देशो में दूध की मांग 50 फीसदी तक और बड़ेगी। मांसाहार की डिमांड में भी दोगुनी बढ़ोतरी होगी। शोधकर्ता डॉ. बेंजामिन बॉडिर्स्काय कहते हैं, दुनियाभर में हर इंसान लिए पर्याप्त खाना मौजूद है लेकिन बड़ी बाधा यह है कि गरीब तबके के लोगों को आमदनी इतनी नहीं है कि ये उसे खरीदे । 

मोटापे से जुड़ी जरूरत मालूम होना चाहिए - 

सिर्फ वजन का बढ़ना मोटापा नहीं, मुम्बई के जसलोक हॉस्पिटल के कंसल्टेंट बेरियाट्रिक सर्जन डॉ. संजय बोरूडे के मुताबिक, मोटापा कितना है यह तीन तरह से जांचा जाता है। पहले तरीके में शरीर का फैट, मसल्स, हड्डी और बॉडी में मौजूद पानी का वजन जांचा जाता है। दूसरा है बॉडी मास इंडेक्स। तीसरी जांच में कूल्हे और कमर का अनुपात देखा जाता है। ये जांच बताती हैं आप वाकई में मोटे है या नहीं। 

यह बीमारियों की नींव है: आम भाषा कहें तो मोटापा ज्यादातर बीमारियों की नींव है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, जॉइंट पेन और कैंसर तक की वजह चर्बी है। फैट जब बढ़ता है तो शरीर के हर हिस्से में बढ़ता है। चर्बी से निकलने वाले हार्मोन नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए शरीर का हर हिस्सा इससे प्रभावित होता है। जैसे- पेन्क्रियाज का फैट डायबिटीज, किडनी का फैट ब्लड प्रेशर, हार्ट आसपास जमा चर्बी हदय रोगों की वजह बनती है।

दो तरह से बढ़ता है मोटापा : मोटापा दो वजहों से बढ़ता है। पहला आनुवांशिक यानी फैमिली हिस्ट्री से मिलने वाला मोटापा। दूसरा, बाहरी कारणों से बढ़ने वाला मोटापा। जैसे ऐसी चीजें ज्यादा खाना जो तला हुआ अधिक कैलोरी वाला है। जैसे फास्ट और जंक फूड। सिटिंग जॉब वालों में मोटापे का कारण कैलोरी का बर्न न होना है। 

मोटापा घटाने का आसान तरीका समझें - 

रोजाना 30 मिनट की वॉक, सीढ़ी चढ़ना, रात का खाना हल्का लेना और घर के कामों को करके भी मोटापा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह सब करना इसलिए भी जरूरी, क्योंकि यह शरीर के साथ दिमाग के लिए भी फायदेमंद है।

थोड़ा बदलाव खानपान में करें- 

नाश्ते में अंकुरित अनाज यानी मूंग चना और सोयाबीन को अंकुरित खाएं। ऐसा करके उनमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती मौसमी हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें। अधिक फैट वाला दूध, बटर तथा पनीर खाने से बचें।


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