कोरोना मोटापे के लिए खतरनाक


संक्रमण के बाद बेकाबू होते प्रतिरोधक क्षमता से मृत्यु का खतरा


मास्को, सितम्बर। अमेरिका के जॉन प्लेस की उम्र 43 साल है और वजन 112 किलो है। जून में जॉन को कोरोना का संक्रमण हुआ और आईसीयू में भर्ती किया गया। मोटापे के कारण डॉक्टरों ने इनकी बचने सम्भावना 20 फीसदी ही जताई थी।


काफी इलाज के बाद जॉन रिकवर तो हुए लेकिन शरीर में हो रहा दर्द अभी भी परेशान कर रहा है। दुनियाभर के कई देशों में हुई अध्ययन कहती है, मोटे लोगों को कोरोना 3 तरह से परेशान करता है। पहला, इनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है।


दूसरा, इनमें संक्रमण होने पर ज्यादातर मामलों में हालत नाजुक हो जाती है। तीसरा, अगर ये मोटापे के अलावा मधुमेह या हार्ट डिसीज से जूझ रहे हैं तो केस और बिगड़ता है। बेकाबू हो जाता है रोगों से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम इंटरनेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन एंडोक्राइन सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मोटापा कोरोना से लड़ना मुश्किल कर देता है।


ऐसे लोगों में ज्यादातर संक्रमण के बाद इम्यून सिस्टम बेकाबू हो जाता है। यानी शरीर को बचाने वाला सिस्टम ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। विज्ञान की भाषा में इसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। मोटापे के कारण डायबिटीज, हार्ट और किडनी डिसीज को बढ़ावा मिलता है, जिसका असर शरीर में रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम पर पड़ता है।


कोरोना मोटापे के लिए खतरनाक, अगर मोटापे के अलावा किसी और भी बीमारी से जूझ रहे हैं और संक्रमण के बाद चुनौती बढ़ जाती है। 


बीएमआई अधिक यानी खतरा ज्यादा-


इस साल 1 से 4 सितम्बर के बीच वर्चुअल इंटरनेशनल ओबेसिटी कॉन्फ्रेंस हुई। इस दौरान मोटापे और कोविङ-19 के बीच क्या कनेक्शन है, इससे जुड़ा डाटा पेश किया गया। डाटा के मुताबिक, रिसर्च के दौरान कोविङ-19 के 124 मरीज आईसीयू में भर्ती हुए। इनमें से मात्र 10 फीसदी ही ऐसे मरीज थे जिनका वजन सामान्य था। ज्यादातर ऐसे मरीज थे जिनका बीएमआई या 30 से 40 की रेंज में था ।यानी सामान्य से अधिक वजन वाले इंसान।


खतरा कई बार हुआ साबित-


अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, मोटे लोग कोविड-19 के रिस्क जोन में हैं लेकिन यह पहली बार नहीं है। 2009 में एच1एन1 इंफ्लुएंजा महामारी के समय भी अधिक वजन वाले लोगों में संक्रमण अधिक बढ़ा और जानें गईं। 1950 और 1960 के दौर की फ्लू महामारी में भी अधिक चर्बी वाले लोगों को खतरा अधिक रहा है और इनकी मौत का आंकड़ा भी ज्यादा था।


सिर्फ वजन का बढ़ना मोटापा नहीं-


मुम्बई के जसलोक हॉस्पिटल के कंसल्टेंट बेरियाट्रिक सर्जन डॉ. संजय बोरूडे के मुताबिक, मोटापा कितना है यह तीन तरह से जांचा जाता है। पहले तरीके में शरीर का फैट, मसल्स, हड्डी और बॉडी में मौजूद पानी का वजन जांचा जाता है। दसरा है बॉडी मास इंडेक्स । तीसरी जांच में कूल्हे और कमर का अनुपात देखा जाता है। ये जांच बताती हैं आप वाकई में मोटे है या नहीं।


दो तरह से बढ़ता है मोटापा-


मोटापा दो वजहों से बढ़ता है। पहला आनुवांशिक यानी फैमिली हिस्ट्री से मिलने वाला मोटापा। दूसरा, बाहरी कारणों से बढ़ने वाला मोटापा। जैसे ऐसी चीजें ज्यादा खाना जो तला हुआ या अधिक कैलोरी वाला है। जैसे फास्ट और जंक फूड। सिटिंग जॉब वालों में मोटापे का कारण कैलोरी का बर्न न होना है।


थोड़ा बदलाव में खानपान में करें-


नाश्ते में अंकुरित अनाज यानी मूंग, चना और सोयाबीन को अंकुरित खाएं। ऐसा करने से उनमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। मौसमी हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें। अधिक फैट वाला दूध, बटर तथा पनीर लेने से बचें।


 


एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने
close