30 साल पुराने गोला-बारूद करगिल युद्ध में भेजे गए थे 

पूर्व सेना प्रमुख का खुलासा -


पराना गोला-बारूद से सेना को दुश्मन से लड़ने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा-वीपी मलिक


1999 के युद्ध में भारत ने पाक को चटाई थी धूल



चंडीगढ़, 14 दिसम्बर, विशेष संवाददाता। साल 1999 के करगिल युद्ध में भारतीय जवानों ने जिस तरह से पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी उसे आज भी याद किया जाता है। करगिल युद्ध के 20 साल बाद भी इस युद्ध से जुड़े कई अहम खुलासे होते रहते हैं।


इसी युद्ध से जुड़ा एक खुलासा भारतीय सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल (रिटायर) वीपी मलिक ने किया है। जनरल मलिक का दावा है कि करगिल युद्ध के समय भारत को विदेशों से हथियार और गोला बारूद मंगाना पड़ा था।


इस दौरान जिन देशों ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया था, उन्होंने भारत के साथ धोखा किया। इन देशों ने मदद के बजाय बाजार की दर से बहुत ज्यादा दाम वसूले और भारत को पुराने गोला बारूद और सैटलाइट पिक्चर दिए। चंडीगढ़ में तीसरे मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट में बोलते हुए वीपी मलिक ने कहा कि साल 1999 में एलओसी पर लड़े गए करगिल युद्ध के दौरान फौज के लिए पुराना बारूद भेज दिया गया था, जिससे सेना को दुश्मन से लड़ने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा।


इसके बाद सेना ने फैसला लिया कि पूरे युद्ध के दौरान इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि करगिल युद्ध से पहले देश ने फौज के लिए '130 एमएम खींचा फील्ड गन' के लिए बारूद बाहर से आयात किया था।


बारूद आने के बाद पता चला कि वह काफी पुराना था और लगभग सत्तर के दशक का था। यही नहीं जब युद्ध शुरू हुआ तो यही बारूद सेना को सौंप दिया गया। इस बात की जानकारी जब सेना को लगी तो उन्होंने इन हथियारों का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया। जनरल मलिक ने कहा जब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं होगा, तब तक हमारे सैनिक असुरक्षित बने रहेंगे।


उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीक तेजी से बदल रही है। दिक्कत ये है कि जब तक यह तकनीक हमारे सैनिकों तक पहुंचती है तब तब वह काफी पुरानी हो चुकी होती है।


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