मुक्केबाजों की सांसें फूल रही हैं प्रदूषण के कारण

मुक्केबाजों को गलत जानकारी दे रहा है डीयू स्पोर्ट्स काउंसिल



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदातानई दिल्ली, नवम्बर। दिल्ली के प्रदूषण से एक तरफ जहां भारत और बांग्लोदश के बीच फिरोजशाह कोटला मैदान पर 3 नवंबर को होने वाले एक दिवसीय क्रिकेट मुकाबले पर काले बदल छाए हुए है।


वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्ट्स काउंसिल अपने खिलाड़ियों की परवाह किए बिना उनको परेशानी में धकेल रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोडीमल कॉलेज में 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक अंतर कालेज मुक्केबाजी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।


जहां युवा मुक्केबाजों को प्रदूषण से ही नहीं काउंसिल के गलत नियमों से भी दो-दो हाथ करने पड़ रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्ट्स काउंसिल 22 अक्टूबर को मुक्केबाजी के लिए एक सर्कुलर भेजता है. जिसमें वह परूष मुक्केबाजों के लिए एक वजन 64 किलोभार को भी शामिल करता है।


लेकिन एक सप्ताह बीत जाने पर जिस दिन प्रतियोगिता आयोजित होती है, उसी दिन अंतरराष्ट्रीय नियमों की बात कहकर 64 किलोभार को बदल कर 63 किलोभार कर देते है। यहीं नहीं वजन बदलने की जानकारी भी मुक्केबाजों को उसी दिन मिलती है, जिस दिन उसको मुकाबला करना काबला है। जिसका विरोध मुक्केबाजों की ओर से हो रहा है।


मगर दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्ट्स काउंसिल को इससे कछ लेना देना नहीं। ऐसे में मुक्केबाजों को अपना 1 किलो वजन घटाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। मुक्केबाजों का कहना था कि दिल्ली के प्रदूषण के थालिपट कारण उनको सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है।


हम नियम में बंधे : गुप्ता इसको लेकर जब टूर्नामेंट की संयोजक किरोडीमल की प्रोफेसर बीनू गुप्ता से बात की तो उनका कहना था कि दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्टस काउंसिल पहले 64 किलो वजन को कहा था, 29 अक्टूबर को 63 किलोवजन घटाने का पत्र दिया। वह काउंसिल नियम के अनुसार ही कार्य कर है।


नियमों का हो रहा है पाल : पंकज दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्टस काउंसिल के चेयरमैन प्रो पंकज सिन्हा का कहना था कि प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार आयोजित होंगी। मगर वजनों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय स्पोर्टस काउंसिल के दो पत्रों और खिलाड़ियों को हो रही परेशानी पर सवाल किया तो उन्होंने जवाब देने की बजाए कहा कि क्लास में पढा रहें है। दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पोर्टस काउंसिल के निदेशक डा अनिल कलकल को कई बार फोन किया गया, मगर उनका कोई जवाब नहीं आया।


 


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