सावधानी बरतें बारिश के मौसम में 

नई दिल्ली, अगस्त, विश्वास कुमार। मॉनसून आते ही गर्मी से निजात मिलने की खुशी चरम पर होती है। लेकिन बरसात का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लाता है। बीमारियों के लिए बहुत हद तक हमारी लापरवाही भी जिम्मेदार होती है। इनमें ज्यादा तला-भुना खाना, बारिश में नहाना, कई बार साफ-सफाई का ध्यान न रखना जैसी लापरवाहियां प्रमुख हैं।


बारिश का मौसम


इस मौसम में जरूरत से ज्यादा चाय पीना भी पेट के साथ खिलवाड़ करने जैसा ही है। तला-भुना खाने के शौकीन लोग भी इन सावधानियों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन इस मौसम में खाने की आदतों में की गई गड़बड़ी पेट का संक्रमण पैदा कर सकती है।


फड पॉइजनिंग -


बारिश के मौसम में फूड पॉइजनिंग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। बाजार में मिलने वाले चाय-पकोड़ों में बैक्टीरिया की आशंका बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में फूड पॉइजनिंग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए बारिश के दौरान बाहर का खाना मना किया जाता है। इस एलर्जी का सबसे बड़ा लक्षण होता है खाने के एक से छह घंटे के बीच उल्टी होना।


वायरल बरवार -


बरसात के दिनों में कहर बरपाने वाला वायरल बुखार संक्रामक रोग है, जिसकी गिरफ्त में कोई भी व्यक्ति आ सकता है। बुखार, गला खराब होना, छींक आते रहना आदि इसके प्रमुख लक्षण होते हैं। इस सामान्य बुखार को नजरअंदाज न करें। वायरल बुखार के इलाज के तौर पर सबसे जरूरी है बुखार को कम रखना। इसके लिए ठंडे पानी की पट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए तथा बुखार निवारक दवाएं लेनी चाहिए। इस बुखार में रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए रोगी को पानी, गर्म सूप, गर्म दूध, जूस आदि का अधिक सेवन करना चाहिए। 


त्वचा की एलर्जी -


वातावरण में नमी होने के कारण त्वचा को अधिक देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान त्वचा तुरंत इन दिनों फंगल संक्रमण की समस्या आम हो जाती है। ऐसे में त्वचा की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।


इन बातों का रखें ध्यान -


तली-भुनी चीजें खाने से बचें और घर में बनी चीजें ही खाएं। सब्जियों को बनाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोएं। अधपका या देर तक रखा हुआ भोजन न खाएं। अगर किसी को धूल और धुएं से एलर्जी है, तो घर से बाहर निकलने से पहले नाक पर रूमाल रखें, क्योंकि बचाव एलर्जी का मुख्य इलाज है। जिन लोगों को ठंड से एलर्जी रहती है, वे ठंडी और खट्टी चीजों जैसे अचार, इमली, आइसक्रीम आदि न खाएं। गंदगी से एलर्जी वाले लोगों को समय-समय पर चादर, तकिए के कवर और पर्दे भी बदलते रहने चाहिए।


ऐसे लोग कारपेट का इस्तेमाल न करें या उसे हर 6 महीने में साफ जरूर करवाएं। घर को हमेशा बंद न रखें। उसे खुला और हवादार बनाए रखें, ताकि घर में साफ हवा आ पाए। खिड़कियों में महीन जाली लगवाएं और उन्हें बंद रखें, क्योंकि खुली खिड़कियों से कीड़े और मच्छर आपके घर में घुस सकते हैं और बीमारी फैला सकते हैं। दीवारों पर फफूंद और जाले हो गए हों, तो उन्हें साफ करते रहें, क्योंकि फफूंद के कारण भी एलर्जी हो सकती है।


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