लिवर ट्रांसप्लांट क्या है और लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत किसे होती है?

लिवर ट्रांसप्लांट क्या है?


लिवर ट्रांसप्लांट में एक मृत या जीवित डोनर से पूरे लिवर या उसके एक हिस्से को निकाला जाता है तथा पीडित मरीज से बीमार लिवर को हटाकर उसमें दान किया हुआ लिवर या उसके एक हिस्से का प्रत्यारोपण किया जाता है।



Dr. Abhideep Chaudhary


Director & HOD – HPB Surgery & Liver Transplantation
MS (General Surgery), Hepatobilliary and Multiorgan Transplant Surgery Fellowship – Thomas Starzl Transplantation Institute (University of Pittsburgh Medical Center), Pittsburgh, PA, USA


लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत किसे होती है?


निम्नलिखित बीमारियों से पीड़ित मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है -



  • शराब की लत के कारण लिवर की क्षति

  • लंबे समय तक सक्रिय संक्रमण (हेपेटाइटिस बी या सी)

  • प्राथमिक पित्त सिरोसिस

  • HCC के कारण चिरकालिक लिवर रोग

  • लिवर या बाइल डक्टस के जन्मजात विकार

  • लिवर नाकाम होने से सम्बद्ध मेटाबोलिक विकार (जैसे- विल्सन्स रोग, हीमोक्रोमेटोसिस)

  • तीव्र लिवर फेलियर



लिवर ट्रांसप्लांट प्रकिया -


लिवर फेलियर से अनेक समस्याएं पैदा होती हैं जिनमें - कुपोषण, जलोदर से जुडी समस्याएं, खून का जमना, पाचन तंत्र से खून बहना और पीलिया शामिल हैं।


ज्यादातर मामलों में, लिवर ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीज़ बहुत बीमार होते हैं। उन्हें ऑपरेशन से पहले अस्पताल में भर्ती किया जाता है। एक जीवित डोनर या एक ऐसे डोनर से जिसकी हाल ही में मृत्यु हुई (मृत मस्तिष्क) है। लेकिन लिवर को क्षति नही पहुंची है, एक स्वस्थ लिवर लिया जाता है।


पेट के ऊपरी भाग में एक चीरा लगाकर बीमार लिवर को हटाया जाता है और उसके जगह नए लिवर को लगाया जाता है, और उसे मरीज के ब्लड वेसल्स एवं बाइल डक्टस के साथ जोड़ दिया जाता है।


इस पद्धति को पूरा करने में लगभग 12-14 घंटे लगते हैं और बड़ी मात्रा में खून चढ़ाने की जरूरत हो सकती है। लिवर ट्रांसप्लांट के बाद, मरीज को 3 से 4 सप्ताह अस्पताल में रहना पड़ता है जो बीमारी की उग्रता पर निर्भर करता है।


ट्रांसप्लांट के बाद, मरीज को ट्रांसप्लांट किए गए अंग को उसके शरीर द्वारा अस्वीकार किए जाने की रोकथाम करने के लिए जीवनभर एंटी रिजेक्शन दवाएं लेनी पड़ती हैं।


लिवर ट्रांसप्लांट कितने प्रकार के होते हैं?


एक मृत या एक जीवित डोनर से लिवर लिया जाता है।


मृत डोनर-

ऐसे मरीजों से लिवर लिया जा सकता है जो मस्तिष्क से मृत हैं (क्लीनिकली, कानूनी, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मृत घोषित कर दिया गया है)। जब एक संभावित डोनर के रूप में मस्तिष्क मृत व्यक्ति की पहचान हो जाती है तो उसके शरीर की रक्त आपूर्ति को कृत्रिम रूप से बनाए रखा जाता है। यह मृत अंग डोनेशन का सिद्धांत है। युवा मरीज जो दुर्घटना, मस्तिष्क में रक्तस्राव, अचानक मृत्यु या कोई दूसरे कारणों की वजह से मारे जाते हैं, उन्हें उपयुक्त डोनर उम्मीदवार माना जाता है।


जीवित डोनर-

यदि लिवर का एक हिस्सा हटा दिया जाए तो यह स्वयं का पुनर्जनन करने की अदभुत क्षमता रखता है। ऑपरेशन के बाद लिवर को पुनर्जनन करने में 4 से 8 हफ्ते लगते हैं। इसी कारण से एक स्वस्थ व्यक्ति अपने लिवर का एक हिस्सा दान कर सकता है।


यदि एक जीवित डोनर लिवर का ट्रांसप्लांट किया जाये तो लिवर डोनर से लिवर का एक हिस्सा ऑपरेशन के द्वारा निकाला जाता है और प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिवर को पूरी तरह से हटाने के बाद उसके शरीर में तुरंत लगा दिया जाता है।


http://www.newsaztak.com/2019/07/खुद-न-बनें-डाक्टर.html


कौन लिवर दान कर सकता है?


संभावित जीवित लिवर डोनर की सावधानीपूर्वक जांच की जाती है और केवल अच्छा स्वास्थय रखने वाले व्यक्तियों पर विचार किया जाता है। डॉक्टर, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स और अन्य स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायी जो लिवर ट्रांसप्लांट टीम बनाते हैं। अपने अनुभव, हुनर एवं तकनीकी विशेषज्ञता से जीवित डोनर लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सर्वश्रेष्ठ डोनर का चयन करते हैं। ऑथोराइजेशन कमेटी द्वारा डोनर के मूल्यांकन के आधार पर स्वीकृति दी जाती है। मूल्यांकन के दौरान डोनर का स्वास्थय और सुरक्षा सबसे पुरम मापदण्ड होता है।


संभावित डोनरः


  • निकट या सगा रिश्तेदार या पति/पत्नी होने चाहिए।

  • संगत ब्लड ग्रुप

  • अच्छे समग्र स्वस्थ शारीरिक अवस्था में होना चाहिए।

  • आयु 18 वर्ष से अधिक और 55 वर्ष से कम होनी चाहिए।

  • लगभग सामान्य बॉडी मास इंडेक्स होना चाहिए (मोटापा नहीं होना चाहिए)।


डोनर निम्नलिखित से अवश्य मुक्त होना चाहिएः


  • हैपेटाइटिस बी या सी के इतिहास से मुक्त।

  • HIV संक्रमण से शराब की लत या अक्सर शराब का बड़ी मात्रा में सेवन।

  • नशीली दवाओं की लत।

  • मानसिक रोग जिसका फिलहाल इलाज चल रहा है।

  • कैसर का हालिया इतिहास।

  • डोनर का ब्लड ग्रुप एक सा या अनुकूल होना चाहिए।


ब्लड ग्रुप संगति चार्ट -


मरीज़ का ब्लड ग्रुप            डोनर का ब्लड ग्रुप


        A                                      A or O


        B                                     B or O


       AB                               A, B, AB or O


       O                                         O


नोट: ब्लड ग्रुप के लिए Rh फेक्टर (+/-) की संगति महत्वपूर्ण नहीं है।


जीवित लिवर डोनेशन के अच्छे पहलू क्या हैं?

एक अंग उपहार स्वरूप देने से एक ट्रांसप्लांट उम्मीदवार के जीवन का बचाव हो सकता है।



  • एक मर रहे व्यक्ति को नया जीवन देने के बारे में डोनर को अच्छा महसूस करने के साथ-साथ सकारात्मक भावनाएं भी महसूस होती है।

  • ट्रांसप्लांट से लिवर प्राप्त करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार आता है जिससे उनके लिए सामान्य जिंदगी में लौटना संभव होता है।

  • आमतौर पर ट्रांसप्लांट उम्मीदवारों ने मृत डोनर से अंग प्राप्त करने की तुलना में जीवित डोनर से अंग प्राप्त करने पर बेहतर परिणाम दिखाए हैं।

  • जीवित डोनर और प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच बेहतर आनुवंशिक मैच अग अस्वीकार करने के जोखिम को कम कर सकता है।

  • जीवित लिवर ट्रांसप्लांट डोनर और ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्ति दोनों के सुविधानुसार ट्रांसप्लांट अनुसुचित किया जा सकता है।


लिवर दान करने के बाद, डोनर कितनी जल्दी स्वास्थ्यलाभ कर लेता है?


ऑपरेशन और स्वास्थ्यलाभ करने की प्रक्रिया हर मामले में अलग-अलग होती है। यदि आप एक डोनर बनने की सोच रहे हैं तो आपको यह समझने के लिए अस्पताल की ट्रांसप्लांट टीम से संपर्क करना चाहिए। आप दूसरे डोनर से भी बात कर सकते हैं।


एक जीवित डोनर के रूप में, आपको 10 दिन या कुछ मामलों में अधिक समय तक अस्पताल में ठहरना पड़ सकता है। विशेष तौर पर, लिवर दो महीनों में पुनर्जनन कर लेता है। अधिकांश लिवर डोनर लगभग तीन महीने में काम पर लौट आते हैं और सामान्य कामकाज दुबारा शुरू कर देते हैं, हालांकि कुछ को ज्यादा समय की जरूरत हो सकती है।


क्या लिवर ट्रांसप्लांट में कोई खतरा है?


लिवर ट्रांसप्लांट के साथ जुड़े सबसे बड़ा खतरा अस्वीकरण और संक्रमण हैं। जब शरीर का इम्यून सिस्टम नए लिवर पर हमला कर देता है तब अस्वीकरण होता है। अस्वीकरण की रोकथाम करने के लिए, ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीज को इम्यून सिस्टम का दमन करने की दवाएं अवश्य लेनी होती हैं।


तथापि, इम्यून सिस्टम कमजोर बन जाने के कारण ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों के लिए दूसरे संक्रमणों से लड़ना कठिन हो जाता है। सौभाग्यवश, ज्यादातर संक्रमणों का दवाओं से इलाज किया जा सकता है।


मुझे कौन सी दवाएं लेनी होगी?



  • एंटी रिजेक्शन दवाईयाँ

  • ट्रांसप्लांट के बाद पहले तीन महीनों के दौरान, आपको निम्नलिखित दवाएं लेनी होंगी

  • एंटीबायोटिक्स - इन्फेक्शन का जोखिम कम करने के लिए

  • एटीफल द्रव - फंगल इन्फेक्शन का जोखिम कम करने के लिए।

  • एंटासिड पेट के अल्सर और अम्लपित्त (हार्टबर्न) के जोखिम कम करने के लिए

  • कोई अन्य दवा जो आपके लक्षणों के आधार पर आपके लिए निर्देशित की जाए।


एंटीरिजेक्शन दवाईयों की जरूरत क्यों होती है?

हमारा शरीर किसी दूसरे व्यक्ति के अंग को सहजता से स्वीकार करने के लिए नहीं बना है। एक इम्यून सिस्टम के रूप में ट्रांसप्लांट किए गए अंग पर हमला करना और उसे मार देना शरीर की सहज प्रवृत्ति होती है, अस्वीकरणरोधी दवाएं ट्रांसप्लांट किए गए अंग के विरुद्ध इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाती हैं और लिवर ग्राफ्ट को दीर्घकालिक बनना और सामान्य ढंग से काम करना संभव बनाती हैं।


मुझे अपने लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

यह अनिवार्य है कि ट्रांसप्लांट पद्धति में शामिल प्रत्येक व्यक्ति मरीज के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए, ऑपरेशन के बाद भी, निर्बाध ढंग से समन्वय करे। मरीज के लिए उसके चिकित्सकों और कंसल्टेंट्स द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना जरूरी है, क्योंकि यह किसी जटिलता की संभावना प्रकट होने की रोकथाम करता है।


मरीज का सबसे जरूरी काम यह सुनिश्चित करना है कि फैमिली डॉक्टर, लोकल फार्मासिस्ट और उसके परिवार के सदस्यों को ट्रांसप्लांट के बारे में पता हो। दवाईओं को निर्देशानुसार लेना चाहिए एवं साथ ही सावधानी बरतनी चाहिए। परिवार के हर सदस्य के पास मरीज के लिवर ट्रांसप्लांट कंसल्टेंट का टेलीफोन नंबर अवश्य होना चाहिए।


मेरा ट्रांसप्लांट किया गया लिवर कितने समय तक चलेगा?

सर्जरी में प्रगति ने लिवर टासप्लाट को अत्याधिक सफल बना दिया है। ट्रासप्लाट करवाने वाले मरीजों को ऑपरेशन के बाद 30 वर्ष का सामान्य जीवन जीते हुए देखा गया है। लिवर ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए पांच वर्ष के उत्तरजीविता दर लगभग 80-90% है।


लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में कुछ तथ्य-


  • जब लिवर फेल हो जाता है, आमतौर पर एक दीर्घकालिक बीमारी के कारण, तब लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।

  • हर साल भारत में लगभग 1,00,000 लोग लिवर फेलियर के कारण मर जाते हैं।

  • पहला सफल लिवर ट्रांसप्लांट 1967 में किया गया था।

  • पिछले 15 से अधिक वर्षों से लिवर ट्रांसप्लांट की संख्या लगातार बढ़ रही है।

  • मृत डोनर या जीवित डोनर, दोनों में से किसी से भी दान किया गया लिवर लिया जा सकता है।

  • लिवर ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए पांच वर्ष की उत्तरजीविता दर 85-90% से अधिक है।

  • जीवित डोनर लीवर ट्रांसप्लांट के लिए भारत देश एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है।


(सेंटर फॉर डाइजेस्टिव एंड लिवर डीजीसीस)


अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - 8586070649, 7838045078


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