जेपी समूह से घर खरीदने वालों की मदद के लिए सरकार गंभीर

दिवाला संशोधन विधेयक से घर खरीदने वाले 30,000 परिवारों की


समस्याओं का समाधान में कर रही काम : सीतारमण



नई दिल्ली, अगस्त, राम कुमार। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता देश के कारोबार जगत के समक्ष उत्पन्न संकटों के समाधान के लिए है और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को कम करने के लिए अलग कानून एवं व्यवस्थाएं हैं।


सीतारमण ने लोकसभा में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2019 पर करीब चार घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए यह स्पष्ट किया। सदन ने बाद में विपक्ष के संशोधनों को नामंजूर करने के बाद ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।


राज्यसभा में यह विधेयक 29 जुलाई को पारित हो चुका है। इस प्रकार से राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा। मौजूदा कानून में समाधान प्रक्रिया 180 दिन में पूरी करने का प्रावधान था तथा इस समय सीमा को 90 दिन और बढ़ाने का विकल्प दिया गया था। अब समय विस्तार सहित अधिकतम समय सीमा 270 दिन की बजाय 330 दिन करने का प्रावधान किया गया है।


वित्त मंत्री ने कहा कि इस संशोधन के माध्यम से इस कानून की मूल भावना को सशक्त बनाने की कोशिश की गई है। इसका उद्देश्य कारोबारी जगत के संकट का समाधान निकालना और कंपनी को वित्तीय अक्षमता से उबार कर चलने योग्य बनाना है, न कि सीधे उसकी संपत्तियों को बेच कर देनदारी चुकता करना।


उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब इस कानून के बनने के बाद कंपनियों के मसले हल हो गए और 2.84 लाख करोड़ रुपए का समाधान हुआ है। हेयरकट या बैंकों को होने लागत की क्षति को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य कंपनी को उबरने का मौका देना है। उन्होंने कहा कि एनपीए के मामलों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक, अन्य वाणिज्यिक बैंक और सरकार अलग कानूनों के तहत काम करती है।


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