संकल्प लें देशवासी पानी की हर बूंद बचाने का 

बोले प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम में 



सुरेश कुमार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पानी की कमी को देखते हुए आज देशवासियों से जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन शुरू करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसके लिए पारंपरिक तौर तरीकों पर जोर दिया जना चाहिए।


श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन को बात' में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे स्वच्छता अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दिया गया है वैसे ही जलसंरक्षण के लिए भी जन आंदोलन शुरु किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करे और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है। मैं कहता है, पानी पारस हैं और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है।


पानी की एक- एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें। श्री मोदी के दूसरी बार के में सत्ता संभालने के बाद यह पहला 'मन की बात' कार्यक्रम था। समाज को जगाएं और जोड़े प्रधानमंत्री ने कहा कि जन आंदोलन में पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया जाना चाहिए और पानी बचाने के तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा, मैं विशेष रूप से अलग अलग क्षेत्र की हस्तियों से, जल संरक्षण के लिए, नव अभियानों झा नेतृत्व करने का आग्रह करता हूँ। फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, कथा - कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करें। समाज को जगाएं, समाज को जोड़े समाज के साथ जुटें आप देखिये, अपनी आंखों के सामने इन परिवर्तन देख पाएंगे।


लोकतंत्र के लिए लड़े गए चुनावः प्रधानमंत्री -


मोदी ने आपातकाल के बाद आम चुनाव (1977) और हाल के लोकसभा चुनाव (2219) को लोकतंत्र के महापर्व करार दिया और कहा कि लोगों ने लोकतंत्र के लिए मतदान किया हैं। श्री मोदी ने कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था। उन्होंने कहा कि राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था। यह केवल जेल के सलाखों तक सिमट आंदोलन नहीं थाइसने जन-जन के दिन में एक आक्रोश भर दिया था। लोगों में खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी।


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