अब तीन तलाक कहा तो जाना होगा जेल

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बिल हुआ पारित


राष्ट्रपति कोविंद के हस्ताक्षर होते ही बन जाएगा कानून, अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पतिको तीन साल तक की जेल का प्रावधान, राज्यसभा में बिल 84 के मुकाबले 99 मतों से हुआ पारित, विपक्ष का विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव भी गिरा।


तीन तलाक पर मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी लगी है। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया। राज्यसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिला कानून बन जाएगा। अब तीन बार तलाक-तलाक-तलाक देकर मनमानी करने वाले मर्दो को जेल की हवा खाना पडेगी। इसके साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।


नई दिल्ली, जुलाई, राम कुमार। संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।


इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया। विधेयक पर लाये गये कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के एक संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया। विधेयक पारित होने से पहले ही जदयू एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया।


विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है। इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है। प्रसाद ने कहा कि एक मुस्लिम आईटी पेशेवर ने उनसे कहा कि तीन बेटियों के जन्म के बाद उसके पति ने उसे एसएमएस से तीन तलाक कह दिया है। उन्होंने कहा कि एक कानून मंत्री के रूप में मैं उससे क्या कहता? क्या यह कहता कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय को मढ़वा कर रख लो। अदालत में अवमानना का मुकदमा करो। पुलिस कहती है कि हमें ऐसे मामलों में कानून में अधिकअधिकार चाहिए।


शायरा हुई खुश-


सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर करने वाली शायरा बानो राज्यसभा में भी ट्रिपल तलाक बिल पारित होने से काफी खुश है। वह कहती हैं कि यह उनकी और इस कुप्रथा के खिलाफ जनता जीत है। अब कोई यू ही आराम से तीन तलाक नहीं दे पाएगा।



1985 में हुई थी तीन तलाक से जिजात दिलाने की शुरुआत - साल 1985 में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने की एक शुरूआत हुई और अब 2019 में आखिरकार जीत हासिल हुई। 34 साल में दो मौके ऐसे आए, जब तीन तलाक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद संसद तक पहुंचा और इस पर कानून बना। 1985 में शाहबानो थीं, जिन्हें हक दिलाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के जरिए कानून बनाकर पलट दिया गया था। वहीं इस बार संसद ने ऐसा विधेयक पारित किया है, जिससे तीन तलाक अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। यह विधेयक शायरा बानो जैसी महिलाओं के लिए याद रखा जाएगा। 40 साल की शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ । सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शायरा को उनके पति ने टेलीग्राम से तलाकनामा मेजा था।



इस्लामिक देशों में भी हो रहे बदलाव - प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे है तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धनिरपेक्ष देश है, हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए? उन्होंने कहा कि तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिटात महिलाएं गरीब वर्ग की होती है। ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रखकर बनाया गया है। -कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद


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