किसानों के अधिकारों का कर रही
हनन बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको
अदालत में एक करोड़ रुपए से अधिक की क्षतिपूर्ति का मुकदमा कराया दर्ज
आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने गुजरात के आलू किसानों पर दर्ज मुकदमे हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा प्रधानमंत्री को शनिवार को लिखे पत्र में बीकेयू ने आरोप लगाया कि बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको किसानों के अधिकारों का हनन कर रही है जो पादप किस्म एवं किसान अधिकार संरक्षण (पीपीवी एंड एफआर) कानून, 2001 का उल्लंघन हैं।
पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और आलू किसानों पर कंपनी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे वापस कराये जाने चाहिए।
किसान संगठन ने सरकार से एक अधिसूचना जारी करने का भी अनुरोध किया है ताकि कोई भी निजी कम्पनी किसान और स्थानीय जिला कृषि कार्यालय की अनुमति के बिना खेत में प्रवेश नहीं कर सके।
गौरतलब है कि गुजरात में अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कम्पनी पेप्सिको ने किसानों पर एक खास किस्म का आलू उगाने पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अहमदाबाद अदालत में कोर्ट में एक करोड़ रुपए से अधिक की क्षतिपूर्ति का मुकदमा दर्ज कराया है।
पेप्सिको का आरोप है कि इन किसानों ने कम्पनी की बिना इजाजत खास किस्म के आलू एफसी-5 या फिर एफएल2027 उगाए हैं और साथ ही उनकी बिक्री की है, जो कि प्लांट वैराइटी प्रोटेक्शन (पीवीपी) अधिकारों का उल्लंघन है।
कम्पनी ने पादप किस्म एवं किसान अधिकार संरक्षण (पीपीवी एंड एफआर) कानून 2001 के तहत किसानों के खिलाफ यह मामला दर्ज कराया है। पेप्सिको का दावा है कि साल 2016 में ही उसे 'भारत में इस आलू के उत्पादन का खास अधिकार मिला हुआ है।
बीकेयू ने कहा कि कि पीवीपी एंड एफआर अधिनियम, 2001 की धारा 39 के अनुसार देश में किसानों को किसी भी संरक्षित किस्म के बीज को बोने के अलावा उसे अपने कृषि उपज को बचाने, उपयोग करने, पुनः बोने, आदानप्रदान करने, साझा करने या बेचने की अनुमति है, जब तक कि वह 'ब्रांडेड बीज' नहीं बेचता है।