देश के व्यापारियों को राहत, जीएसटी के वर्तमान स्वरुप से : खंडेलवाल

जीएसटी में पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं 40 लाख तक के
वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को


 
राजनीतिक पार्टियां जीएसटी पर व्यापारियों को कर रही गुमराह



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लगातार जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहकर उसके कारण देश में हुईकथित बेरोजगारी का हवाला देकर वर्तमान जीएसटी को बदलने की बात कही जा रही है। और देश को गांधी द्वारा गुमराह किया जा रहा है।


आज भी अपने एक ट्वीट में राहुल गांधी ने इस बात को दोहराया है और कहा है की इससे देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी है। गांधी के इस बयान | का कॉन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जोरदार प्रतिकार करते हुए कहा है कि गांधी अपनी आदत के अनुसार बिना विषय को समझे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं और यदि वो अपने बयान पर पूरी तरह आशवस्त हैं।


तो इस मुद्दे पर गांधी हमारे साथ एक सार्वजानिक बहस कर लें और यह तय हो जाए की जीएसटी एक अच्छी या खराब कर प्रणाली है। केवल हवाई बातों से लोगों को गुमराह करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है की गांधी के लोगों ने उन्हें वर्तमान जीएसटी की वास्तविकता से अंधेरे में रख रखा है और राजनैतिक फायदे के लिए वो जीएसटी का राग अलाप रहे हैं।


कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने राजीव गांधी को चुनौती देते हुए कहा की इस मुद्दे पर वह गांधी के साथ एक सार्वजानिक बहस के लिए तैयार हैं और गांधी देश एवं व्यापारियों के हित में उन्हें हमारी चुनौती कबूल कर लेनी चाहिए।


यह बहस किसी भी सार्वजनिक स्थल पर हो सकती है। खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी के वर्तमान स्वरुप से देश के व्यापारियों को काफी हद तक बड़ी राहत पहुंची है। पहले व्यापारियों की दुकानों पर इंस्पेक्टरों का लगातार आना लगा रहता था लेकिन जब से जीएसटी देश में लगा है तब से अब तक कोई जीएसटी इंस्पेक्टर देश भर में किसी व्यापारी के यहां नहीं आया।


बिक्री कर दफ्तर में व्यापारियों का जाना बंद हो गया। पहले एक ही दस्तावेज को कई बार विभाग के पास जमा कराना पड़ता था लेकिन अब कागज़ समाम्स हो गए और सब कुछ ऑनलाइन हो गया।


बिक्री विभाग के एक बड़े भ्रष्टाचार से व्यापारियों को मुक्ति मिली है। डेढ़ करोड़ रुपए तक की वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी कम्पोजीशन स्कीम में आकर टैक्स के झंझट से मुक्ति पा सकते हैं। 40 लाख तक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी में पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं हैअधिकतम वस्तुओं पर कर की दर कम हो गई है।


अनेक फार्मों के स्थान पर अब केवल एक ही रिटर्न भरना होता है। इसके अतिरिक्त और भी अन्य लाभ हैं जो जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों को मिले हैं। खंडेलवाल ने यह भी कहा की किन्तु अभी भी वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली को और अधिक सरल करने की जरूरत है।


मासिक के बजाय रिटर्न तिम्हाई भरी जाए। रिटर्न फार्म केवल एक सरल पृष्ठ का हो, विभिन्न कर की दरों में विसंगतियों को समाप्त किया जाए। 28 प्रतिशत के कर स्लैब की पुन: समीक्षा कर विलासिता की वस्तुओं को छोड़ कर अन्य वस्तुओं को निचली कर दर में लाया जाए।


देश भर में व्यापार करने के लिए केवल एक ही जीएसटी नंबर हो और हर राज्य के लिए अलग अलग पंजीकरण न कराना पड़े।


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