प्रतिबंध जमात-ए-इस्लामी पर लगा

केंद्र सरकार ने तोड़ी हुर्रियत की कमर


हिज्बुल को जेईआई की आतंकवादी शारवा माना जाता है


नई दिल्ली, फरवरी। पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने वाले संगठनों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में जुटी केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (जेईआई-जे एंड के) पर प्रतिबंध लगाकर वास्तव में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस की कमर तोड़ी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने जेईआई -जे एंड के पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूर किया था।



सरकार को संगठन की गैर कानूनी गतिविधियों का पता चलने के बाद यह प्रतिबंध गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम 1967 की धारा 3 (1) के तहत लगाया गया है। जेईआई पर प्रतिबंध लगाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जम्मू- कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के गठन के लिए जिम्मेदार है यही नहीं उसके कुछ कार्यकर्ता हिज्बुल में भर्ती होते रहे हैं।


हिज्बुल को जेईआई की आतंकवादी शाखा माना जाता है। हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा पहले ही वापस ले चुकी है सरकार जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जमात ए इस्लामी पर प्रतिबंध लगाकर दोहरी मार की हैक्योंकि इस संगठन को अलगाववादी नेताओं और आतंकवादियों की हमदर्द मानी जाने वाली ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का 'ब्रेन' माना जाता है। इससे हुर्रियत पर सीधे कार्रवाई किए बिना ही उसकी कमर टूट गई है।


सरकार हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा पहले ही वापस ले चुकी है और इसके ज्यादातर नेता नजरबंद हैं। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) ने भी कुछ हुर्रियत नेताओं के यहां छापेमारी की हैसूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार की कार्रवाई यहीं नहीं रुकने वाली है और उसके खिलाफ और कड़े कदम जिसमें प्रतिबंध भी शामिल है उठाये जा सकते हैंउनका कहना है कि हुर्रियत की विचारधारा पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का समर्थन करने की है।


इसमें उसे जेईआई का समर्थन मिल रहा है जिस पर पाकिस्तान का हाथ है। जेईआई पर पहले भी दो बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। पहली बार 1975 में राज्य की नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने संगठन पर दो वर्ष का प्रतिबंध लगाया था जबकि 1990 में केन्द्र सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया जो दिसम्बर 1993 तक लागू रहा और उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद देश के गृह मंत्री थे। यह संगठन हिज्बुल को लगातार युवाओं की भर्ती, धन मुहैया कराने, साजो- सामान और शरण मुहैया कराने में सक्रिय था।


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