वापस लेने की मांग बैंकों के विलय का आदेश

देना बैंक एवं विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय के निर्णय पर पुर्नविचार कर वापस लेने की मांग को लेकर भोपाल में विभिन्न बैंकों के सैकड़ों कर्मचारी एवं अधिकारियों ने जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आव्हान पर बैंकों के अवांछित विलय के विरोध में देशभर में लाखों बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा प्रदर्शन एवं सभाओं के आयोजन किए गए। बुधवार शाम कर्मचारी व अधिकारी ओरियेन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स रीजनल आफिस प्रेस काम्पलेक्स भोपाल के सामने एकत्रित हुए। उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शन के पश्चात सभा हुई, जिसे बैंक कर्मचारी-अधिकारी नेता वीके शर्मा, संजीव सबलोक, अरूण भगोलीवाल, डीके पोददार, मदन जैन, दीपक रत्न शर्मा, संजय कुदेशिया, वीएस नेगी, सुनील सिंह, नजीर कुरैशी, जेपी झंवर, एमजी शिन्दे, गुणशेखरन, जेपी दुबे ने सम्बोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि जबसे केन्द्र सरकार ने बैंक ऑफबड़ौदा में देना बैंक एवं विजया बैंक के विलय की घोषणा की है तभी से हम इस अनुचित कदम एवं घोषणा का लगातार विरोध करते आ रहे हैं।


 


इस बावत बैंक कर्मियों ने 26 दिसम्बर 2018 को सफल बैंक हड़ताल कर अपना प्रतिरोध व्यक्त किया था। बैंकों के विलय से किसी को फायदा नहीं: बैंक कर्मचारी नेताओं ने कहा, बैंकों का विलय हमारे देश में पूरी तरह से अवांछित है। इससे किसी को भी फायदा नहीं होगा। जैसा कि हम पूर्व के विलयों में देख चुके हैं। सरकार बैंकों के विलय का मुद्दा लाकर राष्ट्र एवं जनता का ध्यान खराब ऋणों से हटाना चाहती है। वर्तमान में बैंकों के विलय की नहीं, बल्कि विस्तार की आवश्यकता है। सरकार को खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाना चाहिए। विलय से खत्म होंगे रोजगारः विलय से रोजगार खत्म होंगे साथ ही साथ नये रोजगार सृजन होने के रास्ते बंद हो जावेंगे। लोगों को बैंकिंग सेवा से वंचित होना पड़ेगा। वक्ताओं ने केन्द्र सरकार से विलय के निर्णय पर पुनर्विचार की माँग कर इसे वापिस लेने की अपील की है।


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