राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय


इस वर्ष की थीम है ‘उत्पादकता और निरंतरता के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था’। सर्कुलर इकोनॉमी या अर्थव्यवस्था ‘बनाओ, उपयोग करो, वापस पाओ’ से जुड़े सर्कुलर बिजनेस मॉडल के लिए अनूठे अवसर को परिलक्षित करती है। यह विभिन्न वस्तुओं या सामग्री की दीर्घकालिक आर्थिक संभावनाओं और पुनर्जनन से जुड़ा अवसर प्रदान करती है। कारगर सर्कुलर इकोनॉमी से उद्योग जगत के साथ-साथ समस्त हितधारक अभी और भविष्य में भी लाभान्वित होंगे।



डीपीआईआईटी में सचिव श्री रमेश अभिषेक एनपीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 जारी करते हुए


 


उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव श्री रमेश अभिषेक ने नई दिल्ली में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को बढ़ाकर वर्ष 2025 तक पांच लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2035 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंचाने के लक्ष्य के मद्देनजर राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी उत्पादकता निश्चित तौर पर हमारे वैश्विक प्रतिद्वंदियों और क्षेत्रीय बाजार मूल्य श्रृंखला के अनुरूप होनी चाहिए, ताकि भारतीय उत्पाद आगे भी प्रतिस्पर्धी बने रह सकें। डीपीआईआईटी में सचिव ने एनपीसी से भारतीय उद्योग की समग्र उत्पादकता बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और उद्योग संगठनों के साथ मिलकर काम करने का अनुरोध किया। उन्होंने उद्योग जगत विशेषकर एमएसएमई को संवेदनशील बनाने और जागरूकता पैदा करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। श्री अभिषेक ने सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा पर अमल करने और इसमें तेजी लाने के उद्देश्य से फिक्की के साथ मिलकर काम करने संबंधी सुझाव देने के लिए एनपीसी की महानिदेशक की सराहना की।


उन्होंने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी में व्यापक कारोबारी अवसर हैं और अब समय आ गया है कि प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में कमी लाने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर काम किया जाए। उन्होंने कहा कि रैखिक अर्थव्यवस्था को सर्कुलर इकोनॉमी में तब्दील करना एक चुनौतिपूर्ण कार्य है और हमारी चुनौतियां निकट भविष्य में और ज्यादा विकट साबित होने वाली हैं क्योंकि हम अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार करने की तैयारी में हैं। ऐसी स्थिति में अपशिष्ट की समस्या एवं संसाधनों की समस्या और ज्यादा गंभीर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें उद्योग जगत के साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि यह पता चल सके कि हम प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में कमी लाने, रिसाइक्लिंग एवं दोबारा उपयोग और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा के सिद्धांतों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। श्री अभिषेक ने क्लस्टर आधारित अवधारणा पर विशेष जोर देते हुए एनपीसी से कुछ क्लस्टरों की पहचान करने को कहा।


निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग में सचिव श्री अतानु चक्रबर्ती और एनपीसी की महानिदेशक (डीजी) डॉ. अमिता प्रसाद ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अनेक समारोह 12-18 फरवरी 2019 के दौरान आयोजित किये जाएंगे। विभिन्न विषयों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर विशेषज्ञों द्वारा पैनल परिचर्चाओं का भी आयोजन किया जा रहा है, ताकि विभिन्न चुनौतियों एवं फायदों के साथ-साथ सर्कुलर इकोनॉमी के कार्यान्वयन के निष्कर्षों पर भी विचार किया जा सके। नई दिल्ली में कार्यशाला के आयोजन के अलावा कोलकाता, चेन्नई, गुवाहाटी, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ स्थित एनपीसी के 13 क्षेत्रीय निदेशालय राज्य सरकारों, राज्यों के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और कारोबारियों के सहयोग से संगोष्ठियां और कार्यशालाएं आयोजित करेंगे। देश भर में फैली 23 स्थानीय उत्पादकता परिषदें भी कार्याशालाएं आयोजित कर रही हैं।


उत्पादन एवं व्यापार से जुड़े मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, पीएसयू, शीर्ष संस्थानों विशेषकर फिक्की और उद्योग संगठनों से भी उत्पादकता सप्ताह मनाने का अनुरोध किया गया है। सर्कुलर इकोनॉमी सीमित स्टॉक को नियंत्रण में रखते हुए और नवीकरणीय संसाधनों के प्रवाह को संतुलित करते हुए प्राकृतिक पूंजी के संरक्षण और वृद्धि के सिद्धांत का अनुसरण करती है। सर्कुलर इकोनॉमी में उत्पादकता बढ़ाने एवं रोजगार सृजन करने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और मूल्यवान कच्चे माल का संरक्षण करने की भी असीम क्षमता है। सर्कुलर इकोनॉमी के तहत बेहतर डिजाइन एवं डिलीवरी के जरिए विभिन्न उत्पादों की उपयोग अवधि बढ़ाई जाती है और आपूर्ति श्रृंखला के आखिर में एकत्रित होने वाले कचरे या अपशिष्ट का नये सिरे से इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में, बड़े ही कारगर ढंग से उपयोग सुनिश्चित कर संसाधनों को बार-बार इस्तेमाल में लाया जाता है। इस दिशा में मुख्य चुनौती सर्कुलर इकोनॉमी से जुड़े ज्ञान के सृजन और क्षमता में निहित है।


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