प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल
समिति ने निम्नलिखित की मंजूरी दे दी है:
a). वर्तमान योजनाओं एमपीडीए, खादी अनुदान, आईएसईसी और ग्रामोद्योग अनुदान को जारी रखने के लिए सभी को वर्ष 2017-18 से 2019-20 की अवधि के लिए 2800 करोड़ रुपये की कुल लागत से ‘खादी और ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत’ सम्मिलित कर लिया जाएगा।
b) खादी क्षेत्र में उद्यम आधारित कार्य शुरू करने और वर्तमान तथा अगले वित्त वर्ष (2018-19 और 2019-20) में हजारों नए कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा के लिए नये संघटक ‘रोजगार युक्त गांव’ को लाना।
रोजगार युक्त गांव (आरवाईजी) का उद्देश्य 3 साझेदारों- केआरडीपी सहायता प्राप्त खादी संस्थान, कारीगरों और व्यवसायी सहयोगियों के बीच साझेदारी के जरिए ‘सब्सिडी वाले मॉडल’ के स्थान पर उद्यम संचालित बिजनस मॉडल’ शुरू करना है। खादी कारीगरों को 10,000 चरखे, 2,000 करघे और 100 ताना-बाना इकाइयां प्रदान करके इसे 50 गांवों में शुरू किया जाएगा जिससे प्रति गांव 250 कारीगरों को सीधे रोजगार मिलेगा। प्रति गांव निवेश की कुल पूंजी सब्सिडी के रूप में 72 लाख रुपये और बिजनस साझेदार से कार्यशील पूंजी के रूप में 1.64 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
ग्रामोद्योग सामान के अंतर्गत कृषि आधारित और खाद्य प्रसंस्कृत (शहद, ताड़ का गुड़ आदि), हस्त निर्मित कागज और चमड़ा, मिट्टी के बर्तन और उत्पाद नवोन्मेष के जरिये स्वास्थ्य तथा कॉस्मेटिक्स क्षेत्र, डिजाइन विकास और उत्पाद विविधता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए वर्तमान उत्कृष्टता केन्द्रों जैसे सीजीसीआरआई, सीएफटीआरआई, आईआईएफपीटी, सीबीआरटीआई, केएनएचपीआई, आईपीआरईटीआई आदि के जरिए आधुनिक कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं।
क्षेत्रीय विविधता को हासिल करने, खादी संस्थानों तक पहुंच प्रदान करने, आधुनिक डिजाइन विकसित करने, विशिष्ट संस्कृति के वस्त्र तैयार करने आदि के लिए 5-5 करोड़ रुपये के निवेश से देश भर में 4 डिजाइन घराने तैयार किये जा सकते हैं।
अन्य प्रमुख संघटक उत्पादन सहायता को प्रतिस्पर्धात्मक और प्रोत्साहन आधारित बनाना है। प्रोत्साहन ढांचे में उत्पादकता में सुधार, कारोबार और गुणवत्ता आश्वासन पर विशेष जोर दिया जाता है और लक्ष्य आधारित स्कोर कार्ड पर इसका विस्तार किया जा सकता है। हालांकि खादी संस्थानों को स्वत: 30 प्रतिशत की वित्तीय सहायता दी जाएगी ताकि वे अतिरिक्त 30 प्रतिशत प्रोत्साहन के पात्र बन सकें, इन संस्थानों को दक्षता, संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल, बर्बादी कम करने, प्रभावी प्रबंधन प्रक्रिया अपनाने आदि का प्रयास करना चाहिए।
उद्योग का पुनर्गठन करने के तहत खादी और ग्रामोद्योग की 8 विभिन्न योजनाओं का दो शीर्ष योजनाओं यानी खादी विकास योजना और ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत विलय कर दिया गया है।
1. खादी विकास योजना [विपणन संवर्धन और विकास सहायता (एमपीडीए), ब्याज सब्सिडी योग्यता प्रमाण पत्र (आईएसईसी), कमजोर ढांचे को मजबूत बनाना, आम आदमी बीमा योजना, खादी अनुदान और खादी तथा VI एस एंड टी]
2. ग्रामोद्योग विकास योजना (ग्रामोद्योग अनुदान)