घोटाला एलएनजेपी में वेतन के नाम पर 

129 करोड़ हड़पे, क्लर्क निलंबित - दस डॉक्टरों के फर्जी खाते खोलकर 


नई दिल्ली, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में डॉक्टरों के वेतन के नाम पर करीब 1.29 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। विभागीय जांच में पता चला कि अस्पताल में दस डॉक्टरों के नाम पर अकाउंट खोले गए। इन खातों में वेतन के नाम पर दो साल की अवधि में करीब 1.29 करोड़ रुपये डाले गए, मगर विभागीय जांच में खुलासा हुआ कि ये डॉक्टर कभी अस्पताल में तैनात ही नहीं रहे। अस्पताल प्रशासन की ओर से डॉ. वाईके सरीन ने बुधवार को इस मामले में आईपी एस्टेट थाने में धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया है।



दो साल तक खेल चलता रहा -


मामले की जांच कर रही पुलिस के अनुसार, यह खेल 1 अप्रैल 2012 से 31 अगस्त 2014 के बीच चलता रहा। शक के आधार पर अस्पताल प्रशासन ने खातों की विशेष जांच कराई तो यह घोटाला सामने आया। जांच में सामने आया कि सीनियररेजीडेंट और जूनियर रेजीडेंट स्तर के दस डॉक्टरों के बैंक खातों में 1.29 करोड़ रुपये ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम) के जरिए ट्रांसफर किए गए। हालांकि, ये डॉक्टर कभी अस्पताल में कार्यरत ही नहीं थे।


क्लर्क की मिलीभगत का अंदेशा -


विभागीय में पता चला है कि इस अवधि में अस्पताल के अकाउंट सेक्शन में राजेश दहिया क्लर्क के तौर पर तैनात था। राजेश पर ही वेतन से जुड़े कागजातों की जांच और उसे स्वीकृत करने की जिम्मेदारी थी। इस घोटाले में भूमिका सामने आने पर राजेश दहिया को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, इस मामले में दस डॉक्टरों के तौर पर पेश व्यक्तियों की भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है।


बड़ी संख्या में लोग शामिल-


माना जा रहा है कि इस घोटाले में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं। पुलिस मामले से जुड़े कागजातों का अध्ययन करने के साथ ही बैंक खातों के विवरण को खंगाल रही है। साथ ही उन खाता धारकों की भी तलाश की जा रही है, जिनके खाते में यह रकम गई। 


नौ फर्जी डॉक्टर पकड़े गए थे रेलवे में भी  -


उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में भी इसी तरह के वेतन घोटाले का मामला गत वर्ष सामने आया था। अस्पताल में फर्जी डॉक्टरों के नाम पर दो वर्षों तक वेतन, भत्ते और एरियर के नाम पर 80 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। प्रारंभिक जांच के बाद सीनियर क्लर्क को निलंबित कर दिया गया था।


 


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