अपने उत्पाद हटाने लगीं ई-कॉमर्स कंपनियां वेबसाइट से

केंद्र ने ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए प्रत्यक्ष


विदेशी निवेश नियमों में किए हैं बदलाव


नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा ईकॉमर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े नियमों में किए गए बदलावों के बाद अमेजन और फ्लिपकार्ट सहित भारत में काम कर रही बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने वेबसाइट्स से लाखों उत्पाद हटाने शुरू कर दिए हैं। नए नियमों के अनुसार, कंपनियां अपनी वेबसाइटों पर ऐसे उत्पाद नहीं बेच सकती, जिन्हें खुद उनकी साझेदारी या नियंत्रण वाली कंपनियों ने बनाया या मुहैया करवाया है। इसका असर कई कंपनियों से लेकर खुद उपभोक्ताओं पर नजर आने लगा है। अमेजन ने जनवरी से मार्च की तिमाही में अपनी कारोबारी वृद्धि पर असर होने का अंदेशा जताया है।



विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादों को अपनी वेबसाइट्स से हटाने की यह प्रक्रिया ईकॉमर्स कंपनियां अगले कुछ हफ्ते जारी रखेंगी। उद्योग संगठनों के अनुसार, बड़ी ईकॉमर्स कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए विभिन्न भारतीय कंपनियों में काफी समय से निवेश कर रही थीं और इनके उत्पादों को अपने वेबसाइट्स पर बेच रही थीं। इस वजह से अमेजन और वॉलमार्ट जैसी विदेशी कंपनियों के कई उत्पादों की कीमत अन्य कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों से कम रहती थी। फ्लिपकार्ट भी इसका फायदा ले रही थी। इससे एक असंतुलित प्रतियोगिता पैदा हो रही थी, जिसमें भारतीय कंपनियां टिक नहीं पा रही थीं।


इन उत्पादों व कंपनियों पर असर -


स्पीकर, सनग्लासेज, फर्श धुलाई के उत्पाद, चार्जर, बैट्री, कई इलेक्ट्रॉनिक सामान, शॉपर्स स्टॉप के उत्पाद वेबसाइटों से हटाए गए हैं। अमेजन और नारायण मूर्ति की साझेदारी में चल रही कंपनी क्लाउडटेल और अमेजन पेंट्री के उत्पाद हटाए जा रहे हैं। 


30 दिन उत्पाद पाने में लग सकते हैं अब -


कई उत्पाद हटाए जाने के बाद अब इन्हें पाने के लिए उपभोवताओं को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। विशेषज्ञ उदाहरण देते हैं कि अमेज़न जो स्पीकर एक से दो दिन में पहुंचाने का दावा करता था, अब उन्हें इन कंपनियों से सीधे खरीदने में उत्पाद की डिलीवरी में 30 दिन तक लग सकते हैं।


अमेजान का आकलव है कि जनवरी से मार्च में अमेजन इंडिया की बिक्री में गिरावट होगी। भारत अमेजन का तेजी से बढ़ता बाजार है। यहां वह करीब 500 करोड़ डॉलर का निवेश कर रही है।


बदलावों को ऐसे समझें -



  • ई-कॉमर्स कंपनी अपनी वेबसाइट पर ऐसी कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच सकती, जिसमें उस ई-कॉमर्स कंपनी की किसी प्रकार की साझेदारी होगी

  • ई-कॉमर्स कंपनियां ऐसा कैश बैक ऑफर नहीं दे सकेंगी, जो प्रतियोगिता को प्रभावित करता हो

  • ये कंपनियां उत्पादक कंपनियों और वेंडरों पर नियंत्रण नहीं रख सकतीं।

  • नियंत्रण का मतलब है कि ई-कॉमर्स कंपनी, संबंधित कंपनी के 25% या उससे अधिक उत्पाद खरीदे

  • कंपनियां किसी वेंडर को उसके उत्पाद केवल वेबसाइट पर ही बेचने की अनिवार्यता नहीं लगाएंगी


 


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