आधुनिक कोच फैक्‍ट्री (रायबरेली) "मेक इन इंडिया" का शानदार उदाहरण

आधुनिक कोच फैक्ट्री (एमसीएफ), रायबरेली की आधारशिला फरवरी, 2007 में रखी गई थी, लेकिन इसका निर्माण कार्य मई 2010 में शुरू हुआ था। फैक्ट्री में 1,000 कोच निर्मित किए जाने थे। हालांकि, वर्ष 2011 से 2014 तक यहां कपूरथला से लाए गए कुछ कोचों का मामूली काम ही किया गया था। इस प्रकार 2011 से 2014 के बीच यहां केवल 375 कोचों का नवीनीकरण किया गया था, जबकि इसमें पूरी तरह से कोच का निर्माण किया जाना चाहिए था।



वर्ष 2014 के बाद से इस फैक्‍ट्री को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा गया है। जुलाई 2014 में एमसीएफ को भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाई घोषित किया गया। एक महीने के भीतर इसने पूरी तरह से निर्मित डिब्बों का उत्पादन शुरू कर दिया। तब से यहां प्रति वर्ष उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है: 2014-15 में 140 कोच, 2015-16 में 285, 2016-17 में 576, 2017-18 में 711 कोच निर्मित किए गए। वर्ष 2018-19 में 1,422 कोच के उत्पादन की उम्मीद है और अब तक 1,220 कोच निर्मित किए जा चुके हैं।


माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर, 2018 को इस वर्ष उत्पादित 900वें कोच और एमसीएफ में निर्मित हमसफ़र रेलगाड़ी के रैक को रवाना किया था। यह परिवर्तन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन, समन्वय और सकेंद्रीत नेतृत्‍व से ही संभव हुआ है। बंद पड़ी मशीनों को शुरू किया गया। वर्ष 2013-14 में किए गए 33% सिविल कार्यों की तुलना में 2018-19 में 90% से अधिक सिविल कार्य पूर्ण किए गए। संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से आवंटित बजट का उचित उपयोग किया गया। 2013-14 में 45% राशि खर्च की गई थी, जबकि 2018-19 में 85% राशि व्‍यय की गई।


पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण एमसीएफ में अधिक कोचों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे उत्पादन की प्रति इकाई लागत में भी कमी आ रही है। भारतीय रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयों में उत्पादित कोचों की तुलना में एमसीएफ में निर्मित कोच की लागत कम है। यह लाभ यात्रियों को दिया जाएगा और इससे अधिक सस्ती सेवाएं प्राप्‍त होंगी।


एमसीएफ ‘मेक इन इंडिया’ का शानदार उदाहरण है। एमसीएफ में रोबोटिक्स, स्वचालन जैसी नई अवधारणाओं का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। बजट 2018-19 में एमसीएफ की उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 1,000 कोच से बढ़ाकर वर्ष 2020-21 तक लगभग 3,000 कोच करने के लिए 480 करोड़ रुपये स्‍वीकृत किए गए हैं।


एमसीएफ में निर्मित किए जा रहे नई पीढ़ी के सुरक्षित एलएचबी कोच रेलवे और यात्रियों की सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं। इस फैक्‍ट्री में हमसफर रेलगाड़ी के कोचों का उत्पादन भी शुरू किया गया है। एमसीएफ में स्मार्ट कोच भी बनाए गए हैं, जो बेहतर सुरक्षा और यात्री सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही भावी रखरखाव में सक्षम है। एमईएमयू, ईएमयू और मेट्रो कोच का भी उत्‍पादन यहां किया जाएगा। अगर सभी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं तो भविष्य में बुलेट ट्रेन के कोच भी एमसीएफ में निर्मित किए जा सकते हैं।


एमसीएफ में एल्यूमीनियम कोचों के निर्माण की भी योजना है, जो देश में इस तरह का पहला विनिर्माण होगा। स्टेनलेस स्टील के कोचों की तुलना में एल्युमीनियम कोच के कई फायदे हैं, जिनमें इनका हल्का वजन, अधिक सुंदर और कोच को टिकाऊ रखने की प्रति वर्ष कम लागत शामिल है। उत्पादन बढ़ाने के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के सेट भी यहां निर्मित करने की योजना बनाई गई है।


एमसीएफ वर्ष 2020-21 तक शून्‍य ऊर्जा मेगा फ़ैक्‍ट्री मानकों को पूरा करने वाली पहली रेल फैक्‍ट्री बन जाएगी। सौर ऊर्जा क्षमता 3 मेगावाट से बढ़ाकर 10 मेगावाट की जाएगी, जो इकाई और आबादी के लिए ‘एनर्जी न्यूट्रल’ मानक हासिल करने में सहायक होगी।


एमसीएफ से रायबरेली की स्थानीय अर्थव्यवस्था बढ़ी है। इससे स्थानीय युवाओं के लिए और आसपास के उद्योगों में रोजगार के अवसर उपलब्‍ध हुए हैं। वर्ष 2018-19 में सूक्ष्‍म,लघु और मझौले उद्यमों से 667 करोड़ रुपये का माल खरीदा गया। 2013-14 में रायबरेली की स्थानीय इकाइयों से खरीद 1 करोड़ रुपये से कम थी, लेकिन 2018-19 में अब यह 124 करोड़ रुपये हो गई है। इसके अलावा, स्थानीय युवाओं को कौशल विकास के अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए प्रशिक्षण केंद्र विकसित किए गए हैं।


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