• एनजीटी ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया
• कहा- फैक्टरियां दिल्ली के वातावरण को जहरीला बना रहीं
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के 15 साल पुराने फैसले और मास्टरप्लान-2021 के प्रावधानों की अनदेखी कर दिल्ली के रिहायशी इलाकों में चल रहीं 51 हजार से अधिक अवैध फैक्टरियां जल्द बंद होंगी। एनजीटी ने इन अवैध फैक्टरियों को बंद कराने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि ये फैक्टरियां राजधानी के वातावरण को जहरीला बना रहीं हैं। पीठ ने अवैध फैक्टरियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए दिल्ली सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीडीए और और नगर निगमों को भी आड़े हाथ लिया। ट्रिब्यूनल के प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस प्रतिभा रानी की अगुवाई में समिति गठित की है।
समिति में सीपीसीबी, डीपीसीसी, डीडीए, डीएसआईआईडीसी, सभी नगर निगमों के प्रतिनिधियों के अलावा संबंधित जिला अधिकारी को भी शामिल किया गया है। सरकार, विभाग फैसले का पालन करने में विफल रहे । पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 15 साल बाद भी रिहायशी इलाकों में अवैध फैक्टरियां चल रही हैं। यह दाता है कि सरकार, डीडीए और नगर निगम व अन्य महकमें मास्टर प्लान 2021 व सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। इसलिए हमें देरी किए बगैर समिति का गठन करना पड़ रहा है ताकि अवैध फैक्टरियों को बंद कराकर दिल्ली वालों के स्वास्थ्य को खराब होने से बचाया जा सके।
सबसे प्रदूषित इलाके - औद्योगिक प्रदूषण के लिए -
• समयपुर बादली • रणहीला • नजफगढ़ • लिबासपुर •मोतीनगर • महोली •आनंद पर्वत •वजीरपुर • चांदनी चौक • करोलबाग • मायापुरी • मुस्तफाबाद • शास्त्री पार्क • गोकलपुरी • यमुना विहार • ओल्ड सीलमपुर
लैंडफिल साइटे -
• ओखला • भलस्या • गाजीपुर
ट्रिब्यूनल में पेश आंकड़े -
51831 फक्टरिया रिहायशी इलाके में अवैध रूप से परिचालित हो रही थी
21960 फैक्टरियों को औद्योगिक क्षेत्र में जगह आवंटित की गई थी
29877 फैक्टरियों के आवंटन के योग्य नहीं माना गया था
15000 अवैध फैक्टरियों को बंद करने का दावा किया निगम ने अगस्त 2018 में, पीठ ने समिति को इस दावे की जाँच के आदेश दिए है
तीन हफ्ते में काम शुरू करें -
पीठ ने समिति को मास्टर प्लान और सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी कर राजधानी में चल रही फैक्टरियों को समय-सीमा के भीतर बंद करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का आदेश दिया है। सथ ही सरर और सभी संबधित महकमों के समिति के निर्देशों का पालन करने की हा हैपीठ ने समिति को तीन सप्त के भीतर काम शुरू करने का आदेश दिया है।
समिति वेबसाइट बनाए -
ट्रिब्यूनल ने समिति को अपनी वेवसाइट बनाने का निर्देश भी दिया है, नकि आम आदमी भी इस पर अपनी शिकायत व सुझाव दे सके। पीठ नेदिल्ली सरकार के मुख्य सदिव को समिति को सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराने और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सभी जरूरी तकनीकी सहायता देने का निर्देश दिये हैं।
सिर्फ आदेश पारित करना ही नहीं बल्कि प्रभावी तरीके से उसे लागू कराकर कानून का प्रशासन कायम करना भी हमारी जिम्मेदारी है। जितना महत्वपूर्ण आदेश पारित करना है उतना ही उसका पालन सुनिश्चित करना है। - जस्टिस ए.के. गोयल, अध्यक्ष, नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल