स्वाइन फ्लू के संक्रमण से सकते में स्वास्थ्य विभाग

तीन सप्ताह के भीतर 16 लोगों की गई जान,


मरीजों की पहचान में जुटी टीमें


नई दिल्ली। पिछले तीन सप्ताह के दौरान दिल्ली में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) से 16 लोगों ने दम तोड़ दिया। एम्स से लेकर निजी अस्पतालों तक में इन मरीजों का उपचार चल रहा था। सामान्य जुकाम-बुखार की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे इनमें से कुछ में फ्लू की पुष्टि मौत के बाद हो सकी है। पूरी दिल्ली में तेजी से फैले इस संक्रमण ने स्वास्थ्य महकमे की नींद भी उड़ा दी है। स्वाइन फ्लू से हुई इन मौतों और मरीजों की जांच में टीमें जुट गई हैं। विभाग का दावा है कि फिलहाल एक भी मौत दिल्ली निवासी की नहीं हुई है। अभी तक दिल्ली में 267 मरीज सामने आए थे, लेकिन सोमवार को जांच में पता चला है कि अकेले दिल्ली के 440 लोग स्वाइन फ्लू के कारण अस्पताल पहुंच चुके हैं।


जबकि हरियाणा, यूपी और पंजाब को मिलाकर फ्लू ग्रस्त मरीजों की संख्या करीब 600 पार कर चुकी है। विभाग के अनुसारआरएमएल में 18 मरीज पॉजीटिव हैं, जबकि 55 मरीजों की रिपोर्ट आना बाकी है। सफदरजंग में 16 मरीज पॉजीटिव हैं, जबकि 25 मरीज डॉक्टरों के राडार पर हैं। ठीक इसी तरह दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल, डीडीयू और डॉ. भीमराव आंबेडकर में भी फ्लू ग्रस्त मरीजों के पहुंचने की सूचना है। स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ. नूतन मुंडेजा का कहना है कि अभी तक दिल्ली के 440 लोग बीमार पड़े हैं। जबकि अस्पतालों में हो रही मौतों में अभी तक राजधानी निवासी सामने नहीं आया है। फिर भी सोमवार शाम को एडवाइजरी जारी कर दी है।



स्वाइन फ्लू ने बदला रूप, मौसमी इन्फ्लूएंजा है अब - एम्स के वरिष्ठ डॉ. करण मदान का कहना है कि इसे मौसमी इन्फ्लुएंजा कहा जा सकता है। स्वाइन फ्लू कुछ वर्ष पहले तक । अपना प्रभाव दिखा रहा था। डॉ. मदान के अनुसार मौसमी इन्फ्लूएंजा की वजह से । सबसे ज्यादा दिल, दिमाग, मधुमेह, तनाव ग्रस्त रोगियों के अलावा शिशु, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्गों को सर्वाधिक सचेत रहने की जरूरत है।'


2009-10 के बाद नहीं दिखी फ्लू की ऐसी भयावहता - स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दिल्ली में 2009-10 में सर्वाधिक स्वाइन फ्लू के मरीज और मौतें देखने को मिली थीं, लेकिन महज एक महीने के शुरुआती तीन सप्ताह में ही सैकड़ों मरीज का संक्रमित होना गंभीर है। उनका कहना है कि ऐसी भयावहता उन्होंने अब तक किसी बीमारी की नहीं देखी है। हालांकि अस्पतालों में निगरानी शुरू हो चुकी है।


इन अस्पतालों में मरीजों ने तोड़ दिया दम -


इस माह में अब तक सर्वाधिक मरीजों की मौत नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में हुई है। यहां 6 मरीज पहले ही दम तोड़ चुके हैं। जबकि बीते रविवार सातवें मरीज ने भी बीमारी के आगे हार मान ली। वहीं सफदरजंग अस्पताल में तीन मरीजों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। एम्स के सूत्रों का कहना है कि दो मरीज उनके यहां भी विगत दिनों में फ्लू के कारण मृत्यु के शिकार हुए। इनके अलावा दिल्ली के दो निजी अस्पतालों में अब तक चार स्वाइन फ्लू ग्रस्त मरीज दम तोड़ चुके हैं।


स्वाइन फ्लू पर दिल्ली सरकार ने जारी की एडवाइजरी -


नई दिल्ली। दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ने पर सोमवार देर शाम स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली वालों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। इसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, गला खराब होना, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ के साथ बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आने की शिकायत है तो उसे तत्काल इलाज की जरूरत है। वहीं हाथ, नाक, मुंह को बार बार साफ करना, किसी को गले लगाना, चूमना या हाथ मिलाने से परहेज, इस्तेमाल किए हुए नेपकिन, टिशू पेपर इत्यादि खुले में न फेंकें, पलू वायरस से दूषित जगहों (रेलिंग, दरवाजे इत्यादि) से दूरी और सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान नहीं करें।


एडवाइजरी के अनुसार तीन चरणों में ये संक्रमण हो सकता है। पहले चरण में बुखार या जुकाम ग्रस्त मरीज को फ्लू के इलाज की जरूरत नहीं होती है। न ही उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। जबकि दूसरे चरण के मरीजों को फ्लू उपचार लेना पड़ता है। इनमें बुखार, जुकाम के साथ शरीर में दर्द के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होना शामिल है। हालांकि इन्हें भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। वहीं तीसरे चरण में पहले और दूसरे के लक्षणों को मिलाकर देखा जाता है। अगर किसी में ये सभी लक्षण मिलते हैं तो उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। 


 


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