सेहत के लिए वरदान

तुलसी -


Tulsi


जुकाम सर्दी व थकावट में-


तलसी 11 पत्ती, 5 काली मिर्च 10 ग्राम अदरक को डेढ पाव जल में पकाएँ। जब शेष आधा पाव जल बच जाए तो उसे छानकर 2 चम्मच चीनी मिलाकर गर्मागर्म चाय की तरह पिएं। सर्दी, जुकाम, थकान से संबंधित सारी समस्याएँ दूर हो जाएँगी और आप ताज़गी का अनुभव करेंगे।


सूखी खांसी -


तुलसी के फूल 1 मासा, सौंठ 1 मासा, प्याज़ का रस 1 चम्मच तथा 1/2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम लेने से सभी प्रकार की खांसी दूर ही जाती है।


सौन्दर्यवर्धक -


तुलसी की सूखी पत्तियों को पीसकर उबटन करने से मुख की कान्ति बढ़ती है। इससे चेहरे की झाँई मिटती है।


दंत रोग नाशक -


अगर दाँतों में कीड़ा लग गया है तो तुलसी के रस में थोड़ा कपूर मिलाकर रूई से भिगोकर पीड़ित स्थान पर रखने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं।


खुजली -


तुलसी का रस निकालकर उससे मालिश करें तथा इसके दो चम्मच पिएँ, इससे खुजली मिट जाती है।


कुष्ठ निवारक -


तुलसी का रस एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम में चार बूंद शहद मिलाकर लेने तथा इसके रस को पीड़ित स्थान पर मलने से एक वर्ष में कुष्ठ से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे रोगी को इस बीच नमक का त्याग कर देना चाहिए।


पाचन शक्ति में सहायक -


तुलसी में पत्तियों को जल में पीसकर पीने से पाचनशक्ति ठीक हो जाती है।


रतौंधी में फायदेमंद -


तुलसी की पत्तियों का रस 15 दिन तक दो बूंद नेत्रों में डालने से रतौंधी अर्थात रात्रि में न दिखाई देने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।


पीलिया में लाभकारी -


तुलसी की पत्तियों का रस एक तोला, मूली का रस चार तोला और इसमें एक तोला गुड़ मिलाकर पीने से पीलिया की समस्या से दो सप्ताह में ही मुक्ति मिल जाती है। इस बीच ध्यान रहे कि नमक का सेवन भोजन में न करें। शीतल जल पिएँ।


प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत है नाशपाती -


Nashpati


नाशपाती अपने शानदार स्वाद और अनूठे पोषक गुणों के कारण सबका पसंदीदा फल है। सेब के आकार की नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन्स, खनिज, एंजाइम और पानी में घुलनशील फाइबर समृद्ध मात्रा में पाए जाते हैं। अपने एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉयड और हाइपो-एलर्जेनिक गुणों के कारण यह हमारे शरीर में रक्त कोलेस्ट्रॉल और सेलूलोज़ के स्तर को नियंत्रित करता है। कम कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग और मधुमेह को रोकने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण विटामिन सी और तांबा पर्याप्त मात्रा में मिलता है, जो मानसून में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


विटामिन सी सामान्य चयापचय और उतकों की मरम्मत में मदद करता है। यह संक्रामक रोगों से रक्षा करने में मदद करता है। नियमित रूप से नाशपाती का जूस पीने से आँतों में हुई गड़बड़ी को नियंत्रित किया जा सकता है। विषाक्त पदार्थों और रसायनों के संपर्क में आने से बड़ी आँत कोशिकाओं की रक्षा करता है। सोरबिटोल अतिरिक्त फाइबर पाचन प्रणाली को नियमित करने में मदद करता है और कब्ज, दस्त जैसे पेट के विकारों को रोकता है। नाशपाती जूस प्राकृतिक ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है।


इसमें बड़े पैमाने पर ग्लूकोज और फ्रक्टोज़ पाया जाता है। नाशपाती खाने से शरीर का ग्लूकोज़ ऊर्जा में बदल जाता है। जब आप स्वयं को थका महसूस करें तो एक नाशपाती आपको तुरन्त ऊर्जा प्रदान करेगी। नाशपाती के जूस अपने शीतलन प्रभाव के कारण शरीर के तापमान को कम कर देता है और बुखार में राहत पहुँचाता है। बरसात के मौसम में बच्चों को खाँसी हो जाती है और फेफड़ों में कफ जम जाता है, जिससे उन्हें साँस लेने में भी दिक्कत होती है। नाशपाती का ताजा जूस दिन में दो बार पीने से कफ कम करने में मदद मिलती है। जूस का नियमित सेवन करने से गले की खराश में आराम मिलता है।


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