संतों के बीच 'धर्मयुद्ध’ कुंभ में मंदिर निर्माण पर!

• विहिप ने कहा-हम ही बनाएंगे राम मंदिर, विहिप के खिलाफ अखाड़ा परिषद, 4 मार्च के बाद नगा साधु करेंगे अयोध्या कूच


• स्वरूपानंद का ऐलान-21 फरवरी को करेंगे मंदिर शिलान्यास



नई दिल्ली, कुभनगरी प्रयागराज में द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में चली तीन दिवसीय परम धर्म संसद ने धमार्देश जारी कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तारीख का ऐलान कर दिया। यह धमार्देश प्रयागराज में ही विश्व हिंदू परिषद (विहिप)की अगुवाई में होने वाली धर्म संसद के एक दिन पहले आया है। वीएचपी की धर्म संसद से पहले जारी इस धर्मादिश से साधु-संतों के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर संतो समाज में धर्मयुद्ध छिड़ गया है। यहां खास बात यह है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को कांग्रेस समर्थक गुट के संत के रूप में जाना जाता है।


कुंभक्षेत्र के सेक्टर 9 में तीन दिनी परम धर्म संसद के आखिरी दिन राम मंदिर को लेकर विस्तृत चर्चा के बाद धमार्देश जारी हुआ। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा जारी धमदिश में कहा गया है कि बसंत पंचमी के स्नान के बाद संत समाज अयोध्या के लिए कुच करेगा। और 21 फरवरी को राम मंदिर को आधारशिला रखी जाएगी। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि कोर्ट के फैसले में अभी और देर होनी है, लिहाजा संत समाज शांतिप्रिय ढंग से रामाभिमानी सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत अयोध्या कूच करेगा। अगर उन्हें रोका गया तो वे गोली खाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा है कि जिस धर्म संसद ने राम् मंदिर के मामले को इस मुकाम पर पहुंचाया कि आज वो सेंटरस्टेज पर है, उस धर्म संसद की बैठक आज होनी है।


उन्होंने पूछा आखिर वे मंदिर निर्माण कहां करेंगे? न उनके पास जमीन है और न ही वे किसी जमीन के अधिकारी हैं। वे कुछ नहीं कर पाएंगे। जैन ने कहा कि मंदिर निर्माण विहिप की अगुवाई वाली धर्म संसद ही करेगी क्योंकि हमने इसके लिए संघर्ष किया है। जैन ने परम धर्म संसद द्वारा जारी धमदिश में साजिश की आशंका जताई। इस बीच विहिप की ओर से प्रयागराज में आयोजित धर्म संसद का अखाड़ा परिषद ने बहिष्कार किया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा है कि विहिप की धर्म संसद में कोई भी अखाड़ा परिषद का सदस्य शामिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विहिप इस धर्म संसद को राजनीतिक रंग दे रहा है। भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के लिए साढ़े चार साल तक कुछ नहीं किया। उन्हें जवाब देना होगा कि आखिर इतने समय में राम मंदिर का निमाण क्यों नहीं हो सका। महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि हम अलग से साधु संतों की बैठक करेंगे और 4 मार्च के बाद नागा साधुओं के साथ अयोध्या कूच करेंगे। निर्मोही और निर्वाणी अणि अखाड़ा की जमीन हैतो विहिप बीच में क्यों कूद रहा है।


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