1. लक्ष्मी का वास वहां माना जाता है, जहां स्वच्छता तथा सुगंध हो। अतः रहने का स्थान तथा कार्य का स्थान स्वच्छ एवं सुगंधित हो, ऐसा प्रयत्न करना चाहिए।
2. घर में गौमूत्र, नमक तथा फिटकरी मिलाकर नित्य पोंछा लगाना चाहिए जिससे नेगेटिव एनर्जी उत्पन्न न हो। वस्त्रादि स्वच्छ रखने के साथ इत्र-स्प्रे इत्यादि का इस्तेमाल करना चाहिए।
3. नए साल के पहले दिन, जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ पर पूजा पाठ, हवन आदि करना चाहिए।
4. वर्षारंभ में कुछ अच्छा करने का संकल्प लेकर वर्षात तक उसे पूर्ण करने का पूरा प्रयास करें।
5. वृक्ष-पौधे लगाकर सेवा उनकी देखभाल जरूर करें। अपने गृह नक्षत्र की वनस्पति तथा राशि की वनस्पति पर यह प्रयोग अत्यंत फायेदेमंद होता है।
6. खुद को स्वस्थ रखने के लिए नित्यप्रतिदिन एक माला महामृत्युंजय का जाप अवश्य करें। 40 दिन बाद से ही परिणाम दिखने शुरू हो जाएंगे।
7. जिन भी व्यक्तियों को ऋण से राहत न मिल रही हो या खर्च ज्यादा हो, आमदनी कम हो, वे लक्ष्मीजी का कोई भी मंत्र प्रारंभ कर दें। दीपावली पर इसके हवन इत्यादि कर ऐश्वर्य, लाभ आदि प्राप्त कर सकते हैं।
8. इस वर्ष जो ग्रह उच्च के हों या सकारात्मक हो उनकी विशेष पूजा करें।
9. जिन पत्र-पत्रिकाओं में कालसर्प दोष हो, वे महाशिवरात्रि को इसका पाठ-पूजा करा लें। इस दिन महाशिवरात्रि है और यह बहुत ही शुभ दिन माना जाता है।
10. जिन व्यक्तियों को राज्य से या बड़े व्यक्तियों से कार्य में अड़चन आ रही हो, वे एक माला मकर संक्रांति 14 जनवरी से नित्य करें। मंत्र- ऊँ नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने। महपति वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा।
11. जिन व्यक्तियों के किसी भी कार्य में रुकावट हो, वे बसंत पंचमी से नित्य एक माला करें। मंत्र- ऊँ श्रीं श्रीं ऊँ ऊँ श्रीं श्रीं हूं फट् स्वाहा।।
12. जिन्हें ज्ञान की आवश्यकता हो, वे पंचाक्षरी शिवमंत्र शिवरात्रि से रात्रि 10 से 12.30 बजे तक पैरों को पानी में डुबाकर जप नित्य करें- 'ऊँ नमः शिवाय:'।
13. राहु ग्रह से पीड़ित व दुखी व्यक्ति संक्रांति से प्रत्येक शनिवार के दिन पानी नारियल अपने पर से उतारकर बहते शुद्ध जल में बहाएं, अगली संक्रांति तक।
14. केतु ग्रह जो की पाप गृह है, से परेशान व्यक्ति शरीर पर तेल लगाकर प्रत्येक शनिवार काले कुत्ते को रोटी खिलाएं तथा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ नित्यप्रतिदिन करें।
15. जो लोग कालसर्प दोष से दुखी व परेशान हों, वे नाग गायत्री का जप शिव मंदिर में या पीपल के नीचे बैठकर शिवरात्रि से नित्य करें- 'ॐ नवकुलाय विद्महे विष दन्ताय धीमही तन्नो सर्पः प्रचोदयात्।
16. जो विद्यार्थी पढ़ने में कमजोर हों, स्मरण शक्ति कम हो, व सरस्वती के चित्र के सामने बैठकर नित्य एक माला बसंत पंचमी से करें - 'ऊँ ह्रीं ऐं ह्रीं ऊँ सरस्वत्यै नमः ।।
17. भय होने पर हनुमान मंत्र संक्रांति से नित्य जपें'ऊँ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय नमः ।।
18. प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर दीपक जलाएं या फिर हरेक मंगलवार हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं।
19. गाय, कुत्ते, पक्षी, चींटी को अवश्य रोटी, आटा, सब्जी आदि डालें। तुलसी का पूजा-पाठ करें।
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