राजनीतिक विज्ञापन से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करेगा गूगल लोकसभा चुनाव में



  • भारत में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित, मार्च में एड लाइब्रेरी शुरू करेगा गूगल




  • गूगल के प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापन चलाने के लिए विज्ञापनदाता को सर्टिफिकेशन लेना जरूरी




  • विज्ञापनदाताओं के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया 14 फरवरी से शुरू होगी




इसी साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के दौरान ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए गूगल एक ‘ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट’ लाने जा रही है, जिसमें गूगल प्लेटफॉर्म पर चुनावी विज्ञापन कौन खरीद रहा है और कितना पैसा खर्च किया जा रहा है, इस बारे में जानकारी होगी। गूगल के मुताबिक, मार्च 2019 में ऑनलाइन एड लाइब्रेरी को शुरू किया जाएगा, जिसे आम लोग भी सर्च कर सकेंगे और उसमें ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापन से जुड़ी जानकारियां देख सकेंगे। गूगल अपने वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब, सर्च पेज के अलावा एड सेंस और एड वर्ड के जरिए विज्ञापन चलाता है।



 


ऑनलाइन विज्ञापन चलाने के लिए वेरिफिकेशन जरूरी


लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए गूगल ने चुनावी विज्ञापन की नीति को भी अपडेट किया है, जिसके तहत अब गूगल के प्लेटफॉर्म पर चुनावी विज्ञापन चलाने के लिए विज्ञापनदाता को चुनावी आयोग या आयोग द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति से ‘प्री-सर्टिफिकेट’ लेना जरूरी होगा। गूगल ने बताया कि, चुनावी विज्ञापन देने के लिए विज्ञापनदाताओं के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया 14 फरवरी से शुरू होगी।


चुनावी विज्ञापन में पारदर्शिता लाना हमारी जिम्मेदारी: गूगल


गूगल इंडिया में पब्लिक पॉलिसी के डायरेक्टर चेतन कृष्णास्वामी ने बताया, “2019 में 85 करोड़ से ज्यादा लोग वोट डालने जा रहे हैं और इसलिए चुनावी विज्ञापन में पारदर्शिता लाना और उन्हें चुनाव से जुड़ी जानकारियां देना हमारी जिम्मेदारी बनती है।” चेतन कृष्णास्वामी ने कहा की “हम भारत सहित, विश्व में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं, इसलिए हम ऑनलाइन चुनावी विज्ञापन में और ज्यादा पारदर्शिता ला रहे हैं और लोगों को चुनावी प्रक्रिया को ज्यादा अच्छे तरीके से समझने में मदद कर रहे हैं।”


इस साल डिजिटल विज्ञापन पर 14,281 करोड़ खर्च होने की उम्मीद


डिजिटल विज्ञापन के खर्च पर रिपोर्ट देने वाली डेंतुसु एजिस नेटवर्क के मुताबिक, वर्तमान में ऑनलाइन विज्ञापन पर 10,819 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, जो विज्ञापन इंडस्ट्री का कुल 17% है। जबकि 2019 में यही खर्च बढ़कर 14,281 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है जो विज्ञापन इंडस्ट्री के कुल खर्च का 31.9% होगा।


चुनावी विज्ञापन के लिए फेसुबक भी कर चुका है तैयारी


गूगल से पहले फेसबुक ने भी भारत में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी विज्ञापन नीति में बदलाव किए थे। फेसबुक चुनावी विज्ञापनों के लिए फरवरी से ऑनलाइन लाइब्रेरी बनाएगी, जिसमें विज्ञापन देने वालों की पूरी डिटेल होगा, साथ ही जो विज्ञापन देगा उसे भी अपना प्रमाण देना होगा। नई नीति के तहत, फेसबुक पर चुनावी विज्ञापन देने के लिए सरकार की तरफ से जारी आईकार्ड की कॉपी देनी होगी, साथ ही लोकेशन की जानकारी भी देना जरूरी होगा। इसके अलावा देश के बाहर चुनावी विज्ञापन नहीं चलाए जा सकेंगे। इसके अलावा, फेसबुक राजनीतिक विज्ञापन को एड लाइब्रेरी में 7 साल तक के लिए स्टोर करेगा ताकि बाद में भी इन्हें एक्सेस और देखा जा सके।


 


एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने
close