नया संकल्प, नया वर्ष, और नयी चुनौतियां
आवाज़ ए हिन्द टाइम्स, जनवरी, 2019
नववर्ष का पहला दिन यानी संकल्प लेने का दिन। संभव हो, पिछले साल भी आपने कुछ संकल्प लिया हो और उसे पूरा न किया हो। इससे विचलित और निराश होने से कुछ नहीं होनेवाला। रोने-गाने या पछताने से और कमियां निकालने, दूसरों पर दोषारोपण करने से कुछ फायदा नहीं होगा, रास्ता नहीं निकलेगा। आगे देखिए, आनेवाली चुनौतियों को देखिए और उससे उबरने का रास्ता खुद बताइए-बनाइए। इसके लिए स्वर्ग से कोई देवता उतर कर आपकी समस्याओं को नहीं सुलझाएंगे। आपको खुद अपने कर्म के जरिये समस्याओं का समाधान खोजना होगा। नये वर्ष में आप चाहें तो अपनी धरती को ही स्वर्ग बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी।
इस बात का मूल्यांकन करना होगा कि अगर अभी हालात खराब हैं, जीवन खतरे में है, तो इसके लिए हम कितने दोषी हैं? अगर संकल्प लेना है, तो प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करने का संकल्प लें, पानी नहीं बर्बाद करने का संकल्प लें, नदी-नाले को प्रदूषित नहीं करने और उन पर कब्जा नहीं करने का संकल्प लें, पहाड़ों को नष्ट नहीं करने का संकल्प लें, जंगलों को बचाने का संकल्प लें. सबसे बड़ा संकट होनेवाला है जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) का। इससे पूरी धरती खतरे में पड़नेवाली है। जीवन खतरे में पड़नेवाला है. इसकी झलक मिल चुकी है। संयुक्त राष्ट्र की दो रिपोर्ट को देखें –
आज से सिर्फ 15 साल बाद यानी 2030 में पूरी दुनिया में जरूरत के अनुपात में 40 प्रतिशत पानी कम रहेगा। भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।
दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहर। दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर। कुछ और आंकड़े हैं। इनमें एक है नदी के बारे में। दुनिया की 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी में भारत की दो नदियां. गंगा दूसरे और यमुना पांचवें स्थान पर। (इंडोनेशिया की साइटरम नदी सर्वाधिक प्रदूषित)। ये आंकड़े बताते हैं कि आनेवाले दिनों में कितनी बड़ी- बड़ी चुनौतियां आनेवाली हैं। रोजगार की बात तो तब आयेगी, जब जीवन रहेगा। जिस तरीके से प्रदूषण फैल चुका है, पीने का पानी नहीं मिल रहा, उससे सीधे जीवन का संकट आ गया है। इस हालात को समझना होगा। अभी भी समय है चेतने का पानी बचाइए। पानी नहीं रहेगा, तो आदमी या जीव-जंतु जिंदा नहीं रहेंगे। इसलिए नववर्ष में प्रभात खबर पानी बचाओ अभियान आरंभ करने जा रहा है। सिर्फ अपको
सचेत करने के लिए, जागरूक करने के लिए, यह काम सिर्फ सरकार का नहीं है। लोग पानी के बगैर मरते। ऐसी घटनाओं से सबक लेनी चाहिए। ऐसी बात नहीं है कि भारत में वर्षा नहीं होती। भारत में औसतन 1083 मिमी वर्षा होती है, जो दुनिया के कई देशों से बहुत ज्यादा है। प्रकृति ने भारत को सब कुछ दिया है। अगर वर्षा के इस पानी का सही प्रबंधन किया जाये, तो भारत में कहीं भी पानी का संकट नहीं रहेगा। दुनिया में ऐसे-ऐसे देश हैं, जहां 100 मिलीमीटर वर्षा नहीं होती। इनमें मिस्र 51 मिमी, लीबिया 56 मिमी, कतर 74 मिमी, सऊदी अरब 59 मिमी और संयुक्त अरब अमीरात 78 मिली शामिल है।
लेकिन यहां का प्रबंधन बेहतर है या कहिए कि कम वर्षा से वहां जल प्रबंधन को बेहतर करने के लिए जनता-सरकार को मजबूर कर दिया है), इस कारण वहां लोग काम चला लेते हैं। अमेरिका (715 मिमी), जर्मनी (700 मिमी) और कनाडा (537 मिमी) में भी भारत से कम वर्षा होती है। लेकिन वहां जल संकट नहीं है, क्योंकि वहां पानी की बर्बादी नहीं होती। सरकार से लेकर लोग जागरूक हैं।अब समय आ गया है कि हम (जनता) सभी को चेतना होगा, वरना हालात मालदीव जैसे होंगे। जिस झारखंड में पहले 20-25 फीट में पानी निकलता था, आज 800-1000 फीट में भी पानी नहीं निकलता। पानी का लेयर लगातार तेजी से नीचे जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि चारो ओर कंक्रीट के जंगल बन गये हैं। बड़े-बड़े अपार्टमेंट तो बन गये, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाये गये।
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