एनपीए में कमी आने के साथ ही बैंकों की हालत सुधार के रास्ते परः आरबीआई

एनपीए में कमी आने के साथ ही बैंकों की
हालत सुधार के रास्ते परः आरबीआई


आरबीआई


मुंबई, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि बैंकों के फंसे कर्जा (एनपीए) में अब कमी आ रही तथा उनकी हालत सुधर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संचालन व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। रिजर्व बैंक की अर्धवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में दास ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जो कमजोर बैंक हैं उन्हें नई पूंजी उपलब्ध कराकर समर्थन देने की आवश्यकता है। दास ने कहा, लंबे समय तक दबाव में रहने के बाद अब ऐसा लगता है कि बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सुधार के रास्ते पर है।


बैंकों पर अवरुद्ध कर्जा का बोझ कम हो रहा है। दास ने इसी महीने की शरुआत में रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभाला है। पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक अपने पद से इस्तीफ देने के बाद इस पद पर उनकी नियुक्ति की गई। उन्होंने कहा की सितंबर तक की अवधि में सकल एनपीए अनुपात में कमी आई है। पिछले तीन साल के दौरान यह इसमें पहली गिरावट है। उन्होंने बैंकों एनपीए संबंधी पूंजी प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) में सुधार को भी रेखांकित किया।


उन्होंने इसे बढ़ते दबाव के समक्ष बैंकों के मजबूती से खड़े होने की क्षमता के तौर पर सकारात्मक संकेत बताया। वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2018 में घटकर 10.8 प्रतिशत रह गया जो कि मार्च 2018 में 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2018 में जहां 15.2 प्रतिशत के करीब पहुंच गया था सितंबर 2018 में यह घटकर 14.8 प्रतिशत रह गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौज़दा आधार परिदृश्य को देखते हुए सभी बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2019 तक कम होकर 10.3 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है जो कि सितंबर 2018 में यह 10.8 प्रतिशत रह गया।


रिज़र्व बैंक गवर्नर ने कहा, हालांकि एनपीए का मौजूदा स्तर ऊंचा है लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा किए गए दबाव परीक्षण में यह संकेत मिलता है कि भविष्य में इसमें सुधार होगा। दास ने कहा कि संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के साथ पुराने फंसे कर्ज की पहचान के लिए जो वृहद समीक्षा शुरू की गई थी उसके साथ ही एनपीए के मोर्चे पर काफी काम हुआ है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में परिचालन के स्तर पर सुधार लाने की जरूरत है। इन्हीं बैंकों में फंसे कर्ज का बड़ा हिस्सा है। दास ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है, संबंद्ध पक्षों ने अब तक जो भी गहन प्रयास किया है उसे अब संचालन और निगरानी व्यवस्था के स्तर पर व्यापक सुधारों के साथ मज़बती देने की आवश्यकता है।


 


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