गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है पेट दर्द

गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है पेट दर्द


- डॉ. अभिदीप चौधरी -


सीनियर कंसलटेंट एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ़ सर्जिकल गेस्ट्रोएंट्रोलोजी एंड लीवर ट्रांसप्लांटेशन 




अक्सर लोगों को पेट दर्द का सामना करना पड़ता है, इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ कारण तो हमारे खान-पान और जीवनशैली से जुड़े होते है, जैसे- अनियमित खान-पान, तला-भुना अधिक खाना, शराब और धूम्रपान आदि की आदतें इनमें शामिल हैं। इसके अलावा अन्य कारणों में क्रॉनिक डिजीज हो सकते हैं, जिसका समय पर इलाज न होने से मृत्यु तक हो सकती है। अत: पेट दर्द को मामूली समझकर इग्नोर करना ठीक नहीं होगा, विशेष जानकारी दे रहे हैं हमारे विशेषज्ञ -



दर्द चाहे शरीर के किसी भी हिस्से में हो, व्यक्ति पूरी तरह परेशान रहता है, उसकी दिनचर्या और कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है। हालांकि, अन्य तरह के ददों का कारण उसी से जुड़े और उसके आस-पास के अंग होते हैं, पर, अकेले पेट दर्द का कारण कोई एक अंग में सूजन या अन्य परेशानी हो सकती है, तो कई बार एक से अधिक अंगों में परेशानी की वजह से भी पेट में दर्द हो सकता है, पेट दर्द गैस या कब्जियत की वजह से भी हो सकती है और यह किसी कैंसर जैसे क्रॉनिक डिजीज का कारण भी हो सकता है। पेट दर्द का मतलब छाती से पेल्विक के एरिया तक होनेवाला दर्द है। इस एरिया में कई कई महत्वपूर्ण अंग आते हैं। इनमें हृदय, फेफड़ा, पैनक्रियाज, लिवर, बड़ी आंत और छोटी आंत प्रमुख हैं। पेट दर्द कभी बहुत धीरे-धीरे होता है, तो यह कभी यह असहनीय कैंप के रूप में आता है। पेट दर्द के अधिकांश मामलों का कारण अपच, बदहजमी या मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है या फिर घर पर ही एंटासिड (डायजीन) या पेनकिलर (वोवरान) जैसी ओवर-द-काउंटर मेडिसिन लेने पर ठीक हो जाता है; हालांकि, कई बार पेट दर्द लंबे समय तक बना रहता है और इसके पीछे कोई-न-कोई शारीरिक बीमारियां या छोटी- छोटी मल्टीपल शारीरिक समस्याएं भी रहती हैं, जो आसानी से पकड़ में नहीं आती हैं, उनका निदान मुश्किल हो जाता है और यह पेट दर्द असहनीय और क्रॉनिक रूप ले लेता है और कई बार सर्जरी की नौबत आ जाती है, कई मामलों में पेट दर्द होने की गलतफहमी की वजह से यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप पेट दर्द को हल्के में न लें। बिना डॉक्टर को कंसल्ट किये कोई भी पेनकिलर मेडिसिन न लें, बिना कारण जाने इलाज करना खतरनाक हो सकता है।



लक्षण : पेट दर्द के कारण को जानने के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि पेट के किस हिस्से में दर्द हो रहा है, कब हो रहा है, कितने समय के लिए हो रहा है और कितनी तीव्रता का है। पेट में तेज दर्द पसलियों या रिबकेज के नीचे या अपर एब्डोमेन, पेट के दाहिनी या बायीं ओर, आंतों में, क्वाड्रेट लोअर एब्डोमेन आदि में हो सकता है।



हर्निया : पेट के हर्निया में पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाने से आंतें बाहर की ओर निकल आती हैं, जिससे पेट में सूजन, क्रैम्प और तेज दर्द रहता है। किस हिस्से में दर्द हो रहा है, कब हो रहा है, कितने समय के लिए हो रहा है और कितनी तीव्रता का है। पेट में तेज दर्द पसलियों या रिबकेज के नीचे या अपर एब्डोमेन, पेट के दाहिनी या बायीं ओर, आंतों में, क्वाड्रेट लोअर एब्डोमेन आदि में हो सकता है। पेट में दर्द सामान्य यानी खान-पान की आदतों, जैसे अधिक तेल मसाला वाला भोजन खाना, समय से न खाना, ब्रेकफास्ट न करना आदि से भी हो सकता है, वहीं यह क्रॉनिक जानलेवा बीमारी का लक्षण भी है। इसलिए इसकी समुचित जांच व इलाज जरूरी है।



कब जाएं डॉक्टर के पास –


पेट दर्द को हल्के में लेना गलत है। जब दर्द असहनीय हो जाये या ऊपर चैस्ट या कंधे की ओर जा रहा हो, पैट में सूजन महसूस हो, तो कोई दवा लेने से पूर्व डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होगी।


क्या हैं उपचार : डॉक्टर सबसे पहले मरीज से पेट दर्द का पैटर्न, तीव्रता और गंभीरता के बारे में जानकारी लेते हैं। किसी तरह की एलर्जी या अनहेल्दी फूड हैबिट्स व एक्टिविटीज के कारण मांसपेशियों में आये खिंचाव के बारे में जानते हैं। मरीज को फिजिकली एग्जामिन किया जाता है। कुछ जरूरी टेस्ट भी किये जाते हैं, जिनमें कंप्लीट ब्लड काउंट, एब्डोमेन का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ब्लड और स्टूल टेस्ट, आंतों और सभी ऑनि की कंप्यूटराइज टोमोग्राफी, एंडोस्कोपीं, कोलोनोस्कोपी, सिग्माइडोस्कोपी आदि शामिल हैं।


जांच के बाद : जांच के बाद पेट दर्द के पैटर्न और मरीज की स्थिति के हिसाब से उपचार किया जाता है। उन्हें पेन रिलीवर, सूजन दूर करने, अल्सर, स्टोन डिसॉल्व करने की मेडिसिन आदि की जाती है। इन्फेक्शन दूर करने के लिए एंटी बॉयोटिक मेडिसिन दी जाती हैं। हर्निया, एपेंडिसाइटिस, स्टोन रिमूव करने जैसी स्थिति में सर्जरी भी की जाती है, जो आखिरी ऑप्शन है. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी एंडोस्कोपी या लेप्रोस्कोपी सर्जरी से की जाती है, पर समय से जांच सबसे पहला कदम है।


पेट दर्द के कारणों की बात करें, तो इसे दो तरह से देखा जा सकता है: कॉमन और क्रॉनिक


अनहेल्दी फूड हैबिट्स : यह पेट दर्द सबसे कॉमन हैओवरइटिंग, ऑयली और मसालेदार भोजन, फास्टफूड, चॉकलेट अधिक खाने से हो सकता है, अधिक चाय- कॉफी, अल्कोहल या कार्बोनेटेड पेय पदार्थ के सेवन से भी हो सकता है, दूषित और अनहेल्दी खाने से फूड पॉयजनिंग हो सकती है, जो पेट में इन्फेक्शन फैला सकता है।


इंपलामेटी बॉवेल सिंड्रोम : इसे IBS भी कहा जाता है। कई बार हमारा पाचन तंत्र कुछ खाद्य पदार्थों को पचाने में असमर्थ होता है। इससे वे पदार्थ छोटी आंत में मौजूद बैक्टीरिया से टूटते हैं और गैस बनती है। इससे पेट पर दबाव पड़ता है, जिससे कैंप, सूजन और तेज दर्द होता है।


कब्ज : आहार में फाइबर और तरल पदार्थों की कमी, शारीरिक एक्टिविटीज में कमी, तंत्रिका तंत्र में विकार होना और कई बार कुछ दवाओं के सेवन के कारण भी कब्ज़ हो सकता है। इसमें आंतों में अपशिष्ट जमा हो जाते हैं और पेट पर दवाब डालते है, जिससे पेट में दर्द होता है साथ ही उलटी होने की आशंका होती है।


क्रॉनिक डिजीज से पेट दर्द :


गॉलस्टोन : गॉलस्टोन के कारण होने वाला बाइलरी कॉलिक पेट दर्द, एब्डोमेन के दायीं ओर ऊपरी भाग में होता है। यह दर्द कंधे की हड़ी तक फैल जाता है, यह दर्द गॉलब्लाडर में स्टोन की वजह से, बाइल के उत्सर्जन की वजह से और आंतों में होनेवाले प्रवाह में बाधा पड़ने की वजह से होता है, यह आमतौर पर 30 मिनट से एक घंटे तक रहता है, लेकिन कई बार हमेशा भी बना रहता है, ऐसी स्थिति में गॉल ब्लाडर के स्टोन को सर्जरी द्वारा निकाल देना ही उचित उपाय है।


हेपेटाइटिस : हेपेटाइटिस बी में वायरल इन्फेक्शन के कारण लिवर में सूजन आ जाती है। इससे पेट के ऊपरी दायें भाग में तेज दर्द रहता है, हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीका आता है, जो काफी हद तक इस रोग को रोकने में कामयाब है, साथ ही असुरक्षित यौन संबंध और प्रोफेशनल डोनर से खून लेना भी इस बीमारी की वजह होती है, अतः इससे भी बचाव जरूरी है।


एपिगैस्ट्रिक दर्द : यह पेट और पैनक्रियाज के विकारों से जुड़ी समस्या है। इसमें H-pylori बैक्टीरिया के कारण पेट की लाइनिंग में इन्फेक्शन हो जाता है, इससे सुजन व पेट में दर्द रहता है।


गेस्ट्रोसोफेजियल रीपलक्स डिजीज : यह पाचन प्रक्रिया संबंधी क्रॉनिक डिजीज है। इसमें पेट में मौजूद एसिड या कभी कभी पेट में मौजूद खाने की चीजें वापस इसोफेगस में वापस फ्लो करने लगती हैं। कभी-कभी यह रीफ्लक्स चेस्ट तक और कभी पीठ, गर्दन, जबड़े और गर्दन तक जाती है। इससे पेट में सूजन, जलन और तेज दर्द होता है।


पैनक्रियेटाइटिस : कभी-कभी पैनक्रियाज में दर्द अचानक शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे बढ़ता हुआ गंभीर रूप ले लेता है, आमतौर पर यह दर्द अपर एब्डोमन में होता है, जहां से फैलता हुआ पीठ तक चला जाता है, सलीन में विकार : शरीर में ब्लड को फिल्टर करनेवाले स्लीन ऑर्गन अपर एब्डोनम के बायीं तरफ होता है और रिबकेज से संरक्षित होता है, मोनोन्यूक्लिओसिस वायरल, लिवर डिजीज, लिम्फोमा या ल्यूकेमिया के कारण स्प्लीन में विकार आने से इसका साइज बड़ा हो जाता है। इससे पेट दर्द बायें कंधे तक फैल जाता है।


किडनी स्टोनः पेट दर्द किडनी स्टोन के कारण भी होता है, जो किडनी से निकल कर यूरेटर में चला जाता है, यूरेटर किडनी और ब्लाडर के बीच की ट्यूब है, जिसमें स्टोन आ जाने से यूरिन का प्रवाह अवरुद्ध करता है, इससे पीठ और पेट के साइड में कैम्प के साथ अचानक बहुत तेज दर्द होता है, जो लोअर एब्डोमेन और ग्रोइन तक फैल जाता है।


एक्यूट एपेंडसाइटिस : बड़ी आंत से जुड़े एपेंडिक्स में एक्यूट सूजन होना एपेंडिसाइटिस कहलाता है, इसमें नाभि के पास तेज दर्द होता है, जो लोअर एब्डोमन की दायीं तरफ फैलता है. इससे मरीज का चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। 


अधिक जानकारी के लिए देखे :


https://www.youtube.com/watch?v=aZuz1a7R2SQ


https://www.youtube.com/watch?time_continue=9&v=6R9npCPtfAE


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