न्यायाधीश ने कहा, ‘मामले पर चार सप्ताह के बाद विचार किया जायेगा।’ उच्च न्यायालय ने एक जुलाई को जुबैर की याचिका पर नोटिस जारी किया था और जांच एजेंसी को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। याचिका में निचली अदालत के 28 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी। उल्लेखनीय है कि निचली अदालत ने जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था। दिल्ली पुलिस ने जुबैर को एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने दी ये दलील
ग्रोवर ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद पारित पुलिस रिमांड का आदेश उसके आवेदन को ध्यान में रखे बिना दिया गया था और उनके खिलाफ कोई अपराध तय नहीं किया गया था। अंतरिम राहत के रूप में, ग्रोवर ने अनुरोध किया था कि जब तक उच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर फैसला नहीं किया जाता है, पुलिस जुबैर के लैपटॉप को जब्त नहीं करेगी क्योंकि ट्वीट एक मोबाइल फोन के माध्यम से किया गया था, न कि कंप्यूटर के माध्यम से।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका की विचारणीयता के संबंध में आपत्ति जताई थी और कहा था कि प्राथमिकी दर्ज किया जाना केवल ‘‘कार्यवाही की शुरुआत’’ है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया था।पुलिस ने कहा था कि एक ट्विटर उपयोगकर्ता की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था, जिसने जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था।