कंजस्टेड ‘ठेकों’ के दिन लदने वाले हैं
1 सितंबर से पुरानी पॉलिसी लागू होने का आदेश आने के बाद ऐसी अटकलें थीं कि ग्रिल वाले ‘ठेकों’ के दिन लौट सकते हैं। ऐसे ज्यादातर ठेके 70 के दशक में खुले और कुछ तो 150 वर्गफीट से भी कम एरिया में चलते थे। हालांकि आबकारी विभाग अब 300-500 वर्गफीट एरिया वाली दुकानें चाहता है। खान मार्केट, ग्रेटर कैलाश, लाजपत नगर जैसे इलाकों में शराब की बड़ी दुकानें खोली जाएंगी। कुछ में वॉक-इन एक्सपीरिएंस भी मिल सकता है। पुरानी आबकारी नीति तब तक लागू रहेगी जब तक सरकार नई आबकारी नीति तैयार नहीं कर लेती।
दिल्ली सरकार की कौन-कौन सी एजेंसियां फिर बेचेंगी शराब
- दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट काउंसिल (DSIIDC)
- दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्टेशन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (DTTDC)
- दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन (DSCSC)
- दिल्ली कंज्यूमर्स कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर (DCCWS)
1 सितंबर से जारी होंगे लाइसेंस
आबकारी विभाग ने एक सितंबर से भारतीय एवं विदेशी शराब की थोक बिक्री के लिए दुकानों को लाइसेंस जारी करने का फैसला किया है। सरकार ने पिछले हफ्ते मौजूदा खुदरा एवं थोक लाइसेंस की अवधि को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया था। ये लाइसेंस 2021-22 की आबकारी नीति के तहत जारी किए गए थे। मंगलवार को जारी आबकारी विभाग के नोटिस के मुताबिक, विदेशी ब्रांड की पांच स्पिरिट (व्हिस्की, रम, जिन, ब्रांडी, वोदका) की बिक्री के लिए थोक लाइसेंस शुल्क 15 लाख रुपये होगा।
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पुरानी आबकारी नीति में क्या प्रावधान हैं?
दिल्ली में इससे पहले जो पॉलिसी लागू थी, उसमें सालभर में 21 ड्राई डे हुआ करते थे। 350 से ज्यादा सरकारी ठेके थे और शराब की दुकानों की कुल संख्या 850 से ज्यादा थी। शराब अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर बिका करती थी। दुकानदारों को डिस्काउंट की इजाजत नहीं थी।
एक्साइज पॉलिसी 2021-22 की खास बातें
नवंबर 2021 से जुलाई 2022 तक लागू रही आबकारी नीति से दिल्ली में शराब बेचने का तरीका पूरी तरह बदल गया था। केवल निजी ऑपरेटर्स ही शराब बेच रहे थे। इस पॉलिसी के तहत, शहर को 32 जोन में बांटा गया था। जोनवाइज ही बोलियां लगीं। दिल्ली सरकार ने पहली बार शराब की दुकानों को डिस्काउंट देने की परमिशन दी। ड्राई डेज की संख्या भी 21 से घटाकर बस 3 कर दी गई। नई पॉलिसी में शराब की होम डिलिवरी, पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 करने और स्टैंडअलोन बार सुबह 3 बजे तक खुले रखने का प्रावधान था मगर इन्हें लागू नहीं किया गया।