खालिद और कई अन्य लोगों के खिलाफ फरवरी 2020 के दंगों के सिलसिले में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। फरवरी 2020 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। खालिद के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू छात्रा नताशा नरवाल व देवांगना कालिता, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सुनवाई के दौरान हुआ था 9/11 का जिक्र
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने अमित प्रसाद ने कहा था कि धर्मनिरपेक्ष विरोध को एक ‘मुखौटा’ बनाकर प्रदर्शन की योजना बनाई गई थी। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि 9/11 होने से ठीक पहले, इसमें जुड़े सभी लोग एक विशेष स्थान पर पहुंचे और ट्रेनिंग ली थी। उससे एक महीने पहले वे अपने-अपने स्थानों पर चले गए। इस मामले में भी यही चीज हुई। उन्होंने आगे कहा कि 9/11 प्रकरण का संदर्भ बहुत प्रासंगिक है। 9/11 के पीछे जो व्यक्ति था, वह कभी अमेरिका नहीं गया। मलेशिया में बैठक कर साजिश की गई थी। उस समय वाट्सऐप चैट उपलब्ध नहीं थे। आज हमारे पास दस्तावेज उपलब्ध हैं कि वह समूह का हिस्सा था। यह दिखाने के लिए आधार है कि हिंसा होने वाली थी।
किसने भड़काई दिल्ली हिंसा? उमर खालिद का विडियो वायरल
‘सरकार को शर्मिंदा करना था मकसद’
प्रसाद ने अदालत से आगे कहा कि 2020 के विरोध प्रदर्शन का मुद्दा सीएए या राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) नहीं बल्कि सरकार को शर्मिंदा करने और ऐसे कदम उठाने का था कि यह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में आ जाए। सुनवाई की आखिरी तारीख पर अभियोजक ने अदालत को बताया कि सभी विरोध स्थलों को मस्जिदों से निकटता के कारण चुना गया था, लेकिन इसे एक मकसद से धर्मनिरपेक्षता का नाम दिया गया था।
दो जगहों पर दिए थे भड़काऊ भाषण
दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि उमर खालिद ने दिल्ली में दो जगह पर भड़काऊ भाषण दिए थे। साथ ही अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने की अपील की थी। दिल्ली पुलिस का कहना था कि उमर खालिद का उद्देश्य दुनिया भर में भारत के खिलाफ अल्पसंख्यकों से जुड़ा दुष्प्रचार फैलाना था।
